बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। इस पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एन.वी. रमण, जस्टिस उदय यू ललित, जस्टिस एस.ए. बोबडे और जस्टिस धनन्जय वाई. चंद्रचूड़ शामिल हैं। इस पीठ को इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दाखिल 14 अपीलों पर सुनवाई करनी है।
इससे पहले 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में गठित होने वाली उचित बेंच 10 जनवरी को अगला आदेश देगी। 10 जनवरी को सुनवाई से पहले ही कोर्ट द्वारा 8 जनवरी को ही चीफ जस्तिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित कर दी गई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को इस मामले में फैसला दिया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन हिस्सों में राम लला, निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम मुद्दई में बांट दिया था। हालांकि हाई कोर्ट के इस फैसले से कोई भी पक्ष संतुष्ट नहीं दिखा, जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। तब से अब तक सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबित है।
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मामले की सुनवाई में हो रही देरी पर देश में कुछ दिन पहले राजनीति गरमा गई थी। लगातार वीएचपी और शिवसेना समेत कई हिंदू संगठन केंद्र की मोदी सरकार से राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर अध्यादेश की मांग कर रहे हैं और अंजाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। वहीं बीजेपी और वीएचपी के नेताओं ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पर भी सवाल खड़े किए थे।
हाल ही में एक टीवी को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने साफ कर दिया था कि पहले इस मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा। अध्यादेश लाना सरकार का दूसरा विकल्प होगा।
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