मोदी सरकार के तीनों विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को बड़ा एलान किया है। उन्होंने एक बार फिर सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन सरकार को वोट की चोट देंगे।
इसके साथ ही राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन को और तेज करने के लिए पांच सितंबर को एक बड़ी पंचायत करेंगे। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में होने वाली इस पंचायत में आंदोलन के लिए आगे की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि आंदोलन को कैसे चलाना है, इस पर बैठक में फैसला होगा।
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हालांकि किसान नेता ने कहा कि किसानों का चुनाव से लेना देना क्यों नहीं होगा। अगर कोई वोट देता है तो उसे आवाज उठाने का भी हक है। जो चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है, क्या उसे बोलने का हक नहीं है। हमने वोट दिया, सरकार बनाई, लेकिन वे हमारी बात नहीं मान रहे। टिकैत ने कहा कि जिसको जहां से दवाई मिलती है, उसे वहीं से दवाई दी जाएगी।
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राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार कान खोल कर सुन ले, चार लाख ट्रैक्टर दिल्ली गए थे। वे अफगानिस्तान के नहीं थे, सारे हिंदुस्तान के ही थे। अगर जरूरत पड़ी तो किसान फिर दिल्ली जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार बातचीत करना चाहती है तो हम तैयार हैं। 22 तारीख से हमारा दिल्ली जाने का कार्यक्रम रहेगा। 22 जुलाई से संसद सत्र शुरू होगा। हमारे 200 लोग संसद के पास धरना देने जाएंगे।
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बता दें कि इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों की आवाज संसद में उठाने के लिए 17 जुलाई तक विपक्षी दलों को चेतावनी पत्र भेजने का ऐलान किया था। साथ ही कहा था कि संसद के मानसून सत्र के अंत तक हर दिन प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य, कुल मिलाकर कम से कम 200 किसान संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
गौरतलब है कि केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 8 महीने से किसानों का प्रदर्शन जारी है।
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