हरियाणा में राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी खेला करने के फेर में है। दो राज्यसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में आज नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस से अजय माकन और भाजपा से कृष्ण लाल पंवार ने अपना नामांकन दाखिल किया। मगर, कहानी में ट्विस्ट तब आया जब जननायक जनता पार्टी के समर्थन से पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के पुत्र कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया। मुख्यमंत्री समेत भारतीय जनता पार्टी पहले से ही चुनाव में खेला करने का संकेत स्पष्ट तौर पर दे रही थी। विधानसभा में संख्याबल के हिसाब से यह माना जा रहा था कि एक सीट कांग्रेस के खाते में और एक सीट बीजेपी के खाते में जाना तय है। तीसरा उम्मीदवार उतरने की स्थिति में ही चुनाव की नौबत आनी है। बीजेपी की रणनीति पहले से ही तीसरा उम्मीदवार उतारने की थी, जिससे साम, दाम और दण्ड भेद के लिए मैदान खोला जा सके। ऐसे में अब 10 जून को मतदान होने तक भाजपा अपना खेल करने के लिए हर तरकीब आजमाने की कोशिश करेगी।
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हरियाणा विधानसभा में कुल विधायकों की तादाद 90 है। यदि सभी विधायक वोट करते हैं तो पहले उम्मीदवार को जीत के लिए 31 और दूसरे को 30 वोट चाहिए। विधानसभा में भाजपा के 40 विधायक, कांग्रेस के 31, जननायक जनता पार्टी के 10, 7 निर्दलीय, इनेलो का 1 और गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा का 1 विधायक है। आज सबसे पहले कांग्रेस के प्रत्याशी अजय माकन ने तकरीबन 11:30 बजे राज्यसभा चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारी बनाए गए विधानसभा चुनाव सचिव आरके नांदल के पास विधानसभा में अपना नामांकन दाखिल किया। अजय माकन के साथ नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा, किरण चौधरी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदय भान भी थे। कांग्रेस के विधायक भी हुड्डा के साथ विधानसभा आए थे। फिर दोपहर 12 बजे के बाद बीजेपी प्रत्याशी कृष्णलाल पंवार ने मुख्यमंत्री की मौजूदगी में पर्चा भरा। इस वक्त तक तकरीबन यह बात सुनिश्चित हो गई थी कि विनोद शर्मा के पुत्र कार्तिकेय शर्मा भी पर्चा दाखिल करने वाले हैं। लेकिन इंतजार लंबा होता जा रहा था। पता चला कि वह चंडीगढ़ सेक्टर नौ स्थित अपनी कोठी में अभी गुणा-भाग कर रहे हैं। नामांकन का वक्त तीन बजे तक मुकर्रर था। आखिर अनिश्चितता के बीच वक्त खत्म होने से करीब आधा घंटे पहले कार्तिकेय शर्मा अपने पिता विनोद शर्मा के साथ विधानसभा पहुंचे और समय खत्म होने के ठीक पहले जननायक जनता पार्टी के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया। जजपा के 10 विधायकों के साथ कुछ निर्दलीयों समेत वह 27 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। विधानसभा के समीकरण के मुताबिक बीजेपी के पास अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए आवश्यक 31 वोट के बाद 9 वोट बच जाएंगे। 9 बीजेपी के, 7 निर्दलीय, 10 जजपा के, 1 इनेलो और 1 हलोपा मिलाकर 28 वोट बनते हैं। वह 27 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। हालांकि, इनेलो विधायक का वोट किस पक्ष में जाएगा यह अभी तय नहीं है। निर्दलीय विधायकों में भी बंटवारा है। निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने तो साफ कर दिया है कि अभी तक उन्होंने किसी को अपना समर्थन नहीं दिया है। मीडिया की ओर से फलाई जा रही बातें महज अफवाह हैं। साथ ही कुंडू ने सरकार पर हमला भी बोला है। रोहतक से बीजेपी सांसद अरविंद शर्मा द्वारा सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर कुंडू ने कहा है कि मैंने 2 साल पहले सरकार के काले कारनामों के जो सबूत पेश किए थे आज खुद भाजपा के सांसद वही आरोप सरकार पर लगा रहे हैं। सारा प्रदेश जनता है कि गठबंधन के सहयोगियों ने लूट मचा रखी है। लोगों की गाढ़े खून-पसीने की कमाई का पैसा खाने वाली गठबंधन सरकार का पाप का घड़ा भर चुका है। कूंडू ने इस हमले के जरिये साफ संकेत दे दिए हैं।
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जाहिर सी बात है कि कार्तिकेय शर्मा के पास जीतने लायक विधायकों का समर्थन नहीं है। इससे यह आशंका प्रबल हो गई है कि चुनाव में खेल करने की पूरी कोशिश होगी। कार्तिकेय शर्मा एक मीडिया हाउस भी चलाते हैं। हालांकि, भाजपा ने अभी खुलकर कार्तिकेय शर्मा को समर्थन देने का ऐलान नहीं किया है, लेकिन पर्दे के पीछे का खेल सभी को पता है। राज्यसभा चुनावों का ऐलान होने के बाद मुख्यमंत्री ने खुद इसके संकेत दे दिए थे। बावजूद इसके कि हरियाणा में होने जा रहे स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा ने जजपा से किनारा करते हुए अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जजपा बेहद दबाव में बताई जा रही है। यही वजह है कि वह अभी भी गठबंधन धर्म की बात कर रही है। इससे पहले जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने कार्तिकेय शर्मा को समर्थन देने की घोषणा की। कार्तिकेय शर्मा के पिता विनोद शर्मा ने अपने बेटे की जीत का दावा किया है। निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के मैदान में उतरने पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दावा किया है कि कांग्रेस प्रत्याशी की जीत पक्की है। उन्होंने कहा कि नए प्रत्याशी के मैदान में उतरने से खतरा तो भाजपा को होना चाहिए, क्योंकि निकाय चुनाव अलग लड़ने की घोषणा से जजपा उससे नाराज है।
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