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एक ही टीके के लिए अलग-अलग रेट क्यों, राजस्थान हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह केंद्र सरकार और निजी कंपनियों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय बजट में टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ का स्पष्ट प्रावधान था। ऐसे में सरकार को देश में मुफ्त टीकाकरण करना चाहिए।

फोटोः IANS
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देश भर में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के सभी लोगों के लिए टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण शुरू होने से दो दिन पहले गुरुवार को राजस्थान उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि एक ही वैक्सीन के लिए अलग-अलग दरें क्यों रखी गई हैं? अदालत ने दो वैक्सीन निर्माता- सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक पर सवाल उठाया कि एक वैक्सीन के लिए अलग-अलग दरें क्यों तय की जा रही हैं?

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जस्टिस सबीना की पीठ ने पत्रकार मुकेश शर्मा की जनहित याचिका पर यह नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई 12 मई को होनी है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अभय भंडारी ने कहा कि देश भर में एक वैक्सीन के लिए तीन दरें तय की गई हैं। केंद्र सरकार कोविशील्ड और कोवैक्सीन का टीका 150 रुपये में प्राप्त करेगी, जबकि राज्य सरकार कोविशील्ड 300 रुपये में और कोवैक्सीन 400 रुपये में लेगी, जबकि निजी अस्पतालों को कोविशील्ड 600 रुपये में और कोवैक्सीन 1,200 रुपये में मिलेगी।

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याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह केंद्र सरकार और निजी कंपनियों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय बजट में कोरोना टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये का स्पष्ट प्रावधान था। साथ ही पीएम केयर्स का अनुमानित कोष संग्रह 900 से 1,000 करोड़ रुपये था। ऐसे में सरकार को देशभर में मुफ्त टीकाकरण अभियान चलाना चाहिए, क्योंकि सरकार ने टीकाकरण की तैयारियां काफी पहले ही कर ली थीं।

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