देश भर में पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक मौसम बदला हुआ है। कई राज्यों में बारिश हो रही है। वहीं मानसून की पहली बारिश के बाद मुंबई के कई हिस्सों में जलभराव देखने को मिला। इसे लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सामना संपादकीय के जरिए शिंदे-फडणवीस सरकार पर हमला बोला है। संपादकीय में लिखा है कि पहली ही बारिश में शिंदे-फडणवीस सरकार के दावे पानी में बह गए।
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सामना में लिखा है कि मुंबईकरों को इस बात का डर सता रहा है कि अगले दो-तीन महीने तक आसमानी और सुल्तानी की उलझनों में उनका दम घुटेगा। हालांकि, यह सच है कि शनिवार की रात मुंबई में एक घंटे में 70 मिलीमीटर बारिश हुई, लेकिन ताल ठोक कर किए गए नालों की सफाई के सरकारी दावे खोखले साबित हुए। शिंदे-फडणवीस सरकार ने जोर-शोर से इस बात का दावा किया था कि इस बार जलजमाव नहीं होगा और मुंबईकरों को परेशानी नहीं होगी लेकिन ये वादे फेंकूगीरी साबित हुए यह शनिवार को दिखाई दिया।
जलजमाव से परेशान जनता को ‘शिकायत किस बात की, बारिश का स्वागत करो’ ऐसी अजीब ‘सलाह’ देकर मुख्यमंत्री ने जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। दरअसल, शिंदे-फडणवीस सरकार को इस पर विचार करना चाहिए कि आखिर लोगों को 24 घंटे में 1200 शिकायतें क्यों दर्ज करानी पड़ीं।
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पहली ही बारिश में आपके दावों का ‘वस्त्रहरण’, यह आपका ही पाप है। कम-से-कम आनेवाले समय में इस समस्या का समाधान क्या होगा और मुंबईकरों को कम से कम परेशानी कैसे हो, इस पर विचार कीजिए, केवल निरीक्षण दौरों से कुछ भी हासिल नहीं होगा। वह आपकी बारात के पीछे नाचनेवाली घोड़ी की तरह है। इसलिए निरीक्षण दौरे से आपको तो काफी संतुष्टि मिलेगी, लेकिन जनता को कोई राहत नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जहां जलजमाव हुआ है वहां के अधिकारियों पर हम कार्रवाई करेंगे और जहां जलजमाव नहीं हुआ, वहां के अधिकारियों को हम सम्मानित करेंगे।’ अब इसे न तो ‘संकेत’ कहा जा सकता है और न ही ‘गाजर’ यह महज एक झांसा है। जब से शिंदे-फडणवीस सरकार सत्ता में आई है, राज्य में केवल झांसे का ही खेल खेला जा रहा है। वहां किसान और यहां मुंबईकरों को खोखले दावों और निरर्थक वादों के झूले में झुलाने का काम चल रहा है।
लोगों को हुई परेशानियों को दूर करने की बजाय, ‘बारिश का स्वागत करें, आप शिकायत क्या करते हैं?’ ऐसा ओछा सवाल जनता से पूछनेवाले शासक मुंबईकरों की गर्दन पर बैठे हैं, लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि इस उद्दंडता के लिए मुंबई के मतदाता कल बारिश के इसी भरे हुए पानी में डुबो देंगे!
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