देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठतम नेता अटल बिहारी वाजपेयी को सोमवार दोपहर नियमित जांच के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया है। इस बीच शाम को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें देखने एम्स पहुंचे। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि किसी को भी वाजपेयी से मिलने की इजाजत नहीं है। राहुल गांधी ने डॉक्टरों और परिवार के लोगों से वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
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राहुल गांधी के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी भी वाजपेयी को देखने अस्पताल पहुंचे। उनके बाद पीएम नरेंद्र मोदी भी एम्स पहुंचे। पीएम मोदी ने डॉक्टरों से वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली।
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उसके बाद देर शाम बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी एम्स पहुंचकर वाजपेयी का हालचाल जाना। बता दें कि वाजपेयी सरकार में आडवाणी उपप्रधानमंत्री थे। दोनों ही नेता जनसंघ के जमाने से राजनीति में साथ हैं।
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खबरों के मुताबिक वाजपेयी के पारिवार के लोगों ने बताया है कि उनकी हालत दो दिन पहले जैसी ही है। उन्हें सिर्फ रूटीन चेकअप के लिए ही एम्स में भर्ती कराया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत पिछले काफी समय से खराब चल रही है, जिसकी वजह से लंबे समय से वह अपने घर में ही रह रहे थे। इससे पहले दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर ही उनका रूटीन चेकअप होता रहा है। बीजेपी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वाजपेयी जी को केवल नियमित जांच के लिए भर्ती कराया गया है। उनकी जांच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलरिया की देखरेख में होगा। एम्स के प्रवक्ता बीएन आचार्य ने बताया कि 93 वर्षीय वाजपेयी एम्स के निदेशक और पैलमोनोलॉजिस्ट रणदीप गुलेरिया के देख-रेख में रहेंगे।
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अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत पिछले लंबे समय से खराब चल रही है, जिस वजह से उन्होंने काफी पहले ही घर के बाहर निकलना छोड़ दिया है। 93 वर्षीय अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं और 2009 से व्हीलचेयर पर हैं। उनका रूटीन चेकअप अब तक घर पर ही होता रहा है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों की सलाह के बाद इस बार उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता वाजपेयी पहली बार 1996 में कुछ दिनों के लिए, 1998 में लगऊग एक साल और फिर 1999 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सांसद रहे हैं। वाजपेयी बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले और अब तक के एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता रहे हैं। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद वाजपेयी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
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25 दिसम्बर, 1924 मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पिता कृष्ण बिहारी बाजपेयी एक शिक्षक थे। वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिये 1942 में भारत की राजनीति में कदम रखा था। भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेयी की पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार और लेखक के रूप में है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े और उसे मानने वाले वाजपेयी भारत की राजनीति में उदारवाद, समाजवाद और समानता के घोर समर्थक माने जाते हैं। वाजपेयी ने कभी भी अपने आपको किसी विचारधारा के दायरे में नहीं सिमटने दिया और हमेशा विचारधारा के दायरे से बाहर निकलकर संवाद में विश्वास करते रहे।
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