तीन हिंदी भाषी राज्यों में मतदाताओं द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद सकते में आई बीजेपी अब उन ‘विचारों’ को अपनाने संकेत दे रही है, जिसे वह कल तक ‘मूर्खतापूर्ण’ और ‘दोषपूर्ण’ मानती रही है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टीवी कार्यक्रम में संकेत दिए कि जल्द ही सरकार 99 फीसदी वस्तुओं और सेवाओं पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है। इसेी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि, “आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने गब्बर सिंह टैक्स पर नरेंद्र जी की नींद तोड़ दी है। हालांकि वह अभी भी ऊंघ रहे हैं, लेकिन फिर भी वे वहीं दरें लागू करने की कोशिश कर रहे हैं जो कांग्रेस ने प्रस्तावित की थीं, और जिसे उन्होंने ‘मूर्खतापूर्ण विचार’ कहा था। लेकिन कोई बात नहीं, देर आयद, दुरुस्त आयद नरेंद्र जी !”
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गौरतलब है कि कांग्रेस पहले दिन से जीएसटी की दरों को एक समान करने की बात करती रही है। कांग्रेस ने कई बार प्रस्ताव दिया है कि ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया जाना चाहिए। कांग्रेस के इस विचार का सत्तारूढ़ दल बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्री समेत खुद प्रधानमंत्री मज़ाक उड़ाते रहे हैं।
इसी साल जुलाई में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि ‘मिल्क एंड मर्सिडीज़’ से एक ही दर पर कर नहीं वसूला जा सकता। उन्होंने कहा था कि ‘मेरे कांग्रेसी मित्र उन वस्तुओं और खाद्य पदार्थों पर 18 फीसदी की वकालत कर रहे हैं जिन पर अभी शून्य या फीसदी टैक्स है।
अरुण जेटली ने कहा था ‘दोषपूर्ण विचार’कांग्रेस ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर सवाल पूछा था कि, “क्या मोदी जी बताएंगे कि अब ऐसा क्या हो गया कि 5 फीसदी वाला आइटम 18 फीसदी के दायरे में आएगा?”
जीएसटी का एक साल होने पर वित्त मंत्री ने जुलाई में अपने ब्लॉग में लिखा था कि सिंगल रेट जीएसटी यानी एक ही दर वाले जीएसटी का विचार ‘दोषपूर्ण’ है। उन्होंने लिखा था कि एक दर का जीएसटी उस देश में कामयाब हो सकता है, जहां लोगों की खर्च करने की क्षमता एक समान है। सिंगापुर में यह चल सकता है, लेकिन भारत में नहीं।
इसी साल काम चलाऊ वित्त मंत्री ने कहा था कि एक दर के जीएसटी का प्रस्ताव बेतुका और हास्यास्पद सुझाव है। लेकिन ऐसा कहते वक्त कामचलाऊ वित्त मंत्री भूल गए थे कि जब उनकी सरकार ने जीएसटी लागू किया था तो नारा था वन नेशन वन टैक्स वन मार्केट।
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