कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भीमा कोरेगांव मामले को प्रतिरोध का प्रतीक बताते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जो कोई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 'नफरत वाले एजेंडे' के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे अर्बन नक्सल कह दिया जाता है।
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साल 2018 के भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही महाराष्ट्र पुलिस से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को यह जांच अपने नियंत्रण में ले ली थी। राहुल गांधी की यह टिप्पणी इसके एक दिन बाद आई है। एनआईए के पास जांच की जिम्मेदारी जाने से एक दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने पुणे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की थी।
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राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “जो कोई भी मोदी-शाह के नफरत वाले एजेंडे का विरोध करता है, वह अर्बन नक्सली है। भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध का प्रतीक है, जिसे सरकार की एनआईए कभी मिटा नहीं सकती।”
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केंद्र सरकार के फैसले ने उद्धव ठाकरे सरकार के साथ एक और टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। राज्य सरकार ने झड़पों को उकसाने वाले आरोप के इस मामले में बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।
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महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा था, "महाराष्ट्र सरकार से बिना किसी सलाह लिए भीमा कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपने के केंद्र सरकार के इस निर्णय का मैं कड़ा विरोध करता हूं।”
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ये है पूरा मामला:
एक जनवरी, 2018 को पुणे के करीब भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़ा यह मामला है। इस दिन यहां दलित लोग ब्रिटिश काल में हुई लड़ाई के 200 साल पूरे होने पर जश्न मनाना चाहते थे। तब यहां हिंसा हुई थी। इससे ठीक एक दिन पहले 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद में सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भाषण दिया था, जिसके बाद हिंसा हुई थी। पुणे पुलिस ने इन्हीं लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे।
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