देशभर में कोरोना और लॉकडाउन की वजह से व्यापार और अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वैश्विक महामारी की वजह से लाखों-करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और कइयों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है।
ऐसी ही एक खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए एक सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने अर्थव्यवस्था को शुरू करने के लिए नकद राशि खर्च नहीं की तो देश के गरीब तबाह हो जाएंगे और सांठगांठ वाले पूंजीपति (क्रोनी कैपिटलिस्ट) देश के मालिक बन जाएंगे।
राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, "यदि भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था को चालू करने के लिए उसमें नकदी नहीं डाली तो गरीब तो खत्म हो जाएंगे और मध्य वर्ग नया गरीब बन जाएगा। क्रोनी कैपिटलिस्ट्स पूरे देश के मालिक बन जाएंगे।"
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राहुल के विचारों का समर्थन करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, "अर्थव्यवस्था को जीवित करने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने और लोगों के हाथों में पैसे देने की जरूरत है, ताकि मांग बढ़े और आर्थिक गतिविधियां गति पकड़ें।"
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कांग्रेस ने कहा है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के तहत अर्थव्यवस्था बद से बदतर हो गई है। वित्तमंत्री द्वारा घोषित आत्मनिर्भर भारत योजना जनता और उद्योगों की मदद करने से ज्यादा ऋण वितरण का एक जनसंपर्क एक्सरसाइज थी।
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कांग्रेस ने एक बयान में सवाल किया है, "बेरोजगारी पहले से आसमान छू रही थी और कोरोनावायरस संकट ने इसे और बदतर बना दिया है। क्या बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए वित्तमंत्री के पास कोई योजना है?"
बयान में कहा गया है, "भाजपा की आर्थक नीतियां देश के लिए पूरी तरह से एक आपदा रही हैं। कोविड से पहले अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में विफल रहने के बाद भी वित्तमंत्री ने विशेषज्ञों की आवाज को सुनने से इंकार कर दिया। सरकार बढ़ती महंगाई को रोकने में विफल रही है। और अब अपनी विफलता छिपाने के लिए प्रमुख आर्थिक आंकड़े को छिपाने में व्यस्त है।"
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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