कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) जैसे अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की शहादत को ‘शहीद’ का दर्जा देने की मांग को लेकर एक बार मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “हमे सीआरपीएफ जैसे अपने अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के बलिदान को सम्मान देकर उन्हें आवश्यक रूप से ‘शहीद’ का दर्जा दिया चाहिए।”
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उन्होंने आगे कहा, “हालांकि मुझे पता है कि पीएम मोदी का अहंकार मेरे अनुरोध पर विचार करने से उन्हें रोकेगा। मुझे उम्मीद है पीएम मोदी अर्द्धसैनिक बलों की बेहतरी के लिए कोर्ट के आदेश पर काम करेंगे।”
इससे पहले पर शहीद जवानों को ‘शहीद’ का दर्जा देने की मांग को लेकर पीएम मोदी पर हमला था। उन्होंने कहा था, “हमारे बहादुर जवान शहीद हो गए, उनके परिजन संघर्ष कर रहे हैं। 40 जवानों ने शहादत दी, लेकिन उन्हें शहीद का दर्जा देने से इनकार कर दिया गया। वहीं अनिल अंबानी ने कुछ नहीं किया, लेकिन उसे 30 हजार करोड़ रुपये का गिफ्ट दे दिया गया। मोदी के नये भारत में आपका स्वागत है।”
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2015 से 30 नवंबर, 2018 के दौरान आतंकी हिंसा में अर्धसैनिक बलों के 231 जवान शहीद हुए हैं। इनमें सीआरपीएफ के जवानों-अफसरों की संख्या सबसे अधिक 130 रही है। बीएसएफ के 55, असम रायफल्स के 41 और सशस्त्र सीमा बल के पांच लोग हैं। सीआरपीएफ माओवाद-प्रभावित क्षेत्रों की करीब 80 फीसदी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करती है, जबकि कश्मीर घाटी में उसने करीब 65 हजार जवानों को तैनात कर रखा है।
अर्द्धसैनिक बलों के जवानों और बटालियनों की तादाद जिस तरह बढ़ रही है, उससे पांच से सात साल में इनकी संख्या सेना से अधिक हो जाने की संभावना है। फिर भी सरकार इन्हें ’दोयम श्रेणी का सैनिक’ ही मान रही है।
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