लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के जन्मदिन पर रविवार को उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनकी अथक सेवा और जनता के हितों के प्रति समर्पण प्रेरणादायी है। खरगे आज 82 वर्ष के हो गए।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘जन्मदिन पर बधाई खड़गे जी। आपकी अथक सेवा और जनता के हितों के प्रति समर्पण प्रेरणादायी है। आपकी अच्छी सेहत की कामना है। आपको ढेर सारा प्यार।’’
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मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रसे के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। खड़गे एक ‘सेल्फ मेड मैन’ हैं जो बौद्ध धर्म को मानते हैं और बहुभाषाविद हैं। खड़गे कन्नड़ के अलावा अंग्रेजी और मराठी, उर्दू, तेलुगू और हिंदी जैसी 6 अन्य भाषाओं में भी प्रवीण हैं। वह कर्नाटक से ऐसे दूसरे नेता हैं जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर पहुंचे। उनसे पहले कर्नाटक के ही एस निजलिंगप्पा 1968 में पार्ची अध्यक्ष बने थे। इसके अलावा जगजीवन राम के बाद खड़गे पार्टी के दूसरे दलित अध्यक्ष भी हैं।
खड़गे हॉकी, फुटबॉल और कबड्डी के खिलाड़ी रहे हैं और उनह्ने कानून की पढ़ाई की है। वे डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय श्रम मंत्री के पद पर रह चुके हैं। कर्नाटक में खड़गे को सोलीलादा सरदारा यानी अविजित योद्धा के तौर पर पुकारा जाता है। 2019 में चुनाव हारने के पहले अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में खड़गे कोई चुनाव नहीं हारे हैं। उन्होंने कर्नाटक विधानसभा में लगातार 12 चुनाव जीते थे।
मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रारंभिक जीवन पर नजर डालें तो कुछ रोचक किस्से सामने आते हैं। मसलन बताया जाता है कि 7 वर्ष की उम्र में खड़गे को बिदर जिले में स्थित अपने गांव का घर पिता के साथ छोड़ना पड़ा था क्योंकि हैदराबाद के निजाम की निजी सेना ने गांव पर हमला कर दिया था। बताया जाता है कि खड़गे के पिता खेतिहर मजदूर थे। जब वे खेत से घर की तरफ लौट रहे थे तो उन्होंने देखा कि उनके घर में आग लगाई जा चुकी है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में खड़गे की मां और बहन की मृत्यु हुई थी।
इस घटना के बाद खड़गे पड़ोस के कलबुर्गी जिले में बस गए और वहीं से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वे कलबुर्गी की एमएसके मिल में कानूनी सलाहकार बन गए और 1969 में संयुक्त मजदूर संघ के नेता चुने गए। इसी साल वे कांग्रेस में शामिल हुए और कलबुर्गी शहर इकाई के अध्यक्ष बना दिए गए।
1972 में मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी राजनीति में कदम रखा और जिले की गुरमितकल आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा। वे यहां से 2008 तक तब तक लगातार चुने जाते रहे, जबतक इस सीट के अनारक्षित नहीं कर दिया गया। इसके बाद खड़गे ने चितपुर को अपना निर्वाचन क्षेत्र बनाया। फिलहाल इस सीट से उनके पुत्र प्रियांक खड़गे विधायक हैं।
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