कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब नेशलन बैंक (पीएनबी) के साथ 12,600 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में अपनी वकील बेटी को बचाने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली पर चुप रहने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने जेटली से पूछा कि जब आरोपी से जुड़े अन्य लॉ फर्म पर छापे पड़े हैं तो फिर इस मामले में उनकी बेटी की कंपनी पर छापा क्यों नहीं मारा गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ट्वीट में कहा, "अब यह खुलासा हो चुका है कि हमारे वित्त मंत्री की पीएनबी घोटाले में चुप्पी अपनी वकील बेटी को बचाने के लिए है। घोटाला सामने आने से सिर्फ एक महीने पहले ही उनकी बेटी को आरोपी की ओर से भारी भरकम शुल्क चुकाया गया था। सीबीआई द्वारा आरोपियों से जुड़ी अन्य लॉ कंपनियों पर छापेमारी की गई तो फिर उनकी बेटी की कंपनी पर छापेमारी क्यों नहीं हुई?"
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कांग्रेस अध्यक्ष ने समाचार वेबसाइट ‘द वायर’ का एक ट्वीट भी साथ में जोड़ा, जिसमें कहा गया है कि 'जब सत्तारूढ़ व्यवस्था उस खबर के खंडन का प्रयास करने लगती है जो अभी तक प्रकाशित भी नहीं हुई है, तो आपको पता चल जाता है कि आप कुछ सही कर रहे हैं।' वेबसाइट ने कहा है कि एक खबर की जांच के लिए उसकी ओर से जेटली की बेटी और उनके दामाद जयेश बख्शी के स्वामित्व वाली कानून कंपनी को सवालों की एक लिस्ट भेजी गई है। अपने जवाब में बख्शी ने दिसंबर 2017 में रिटेनरशिप हासिल करने की पुष्टि की है, लेकिन बताया है कि इसे जनवरी 2018 में लौटा दिया गया।
बख्शी ने द वायर को बताया कि दिसंबर 2017 में गीतांजलि जेम्स लिमिटेड ने अपने मुकदमे और सलाहकार मामलों में चैंबर्स ऑफ जेटली एंड बख्शी से प्रतिनिधित्व करने के लिए अनुरोध किया था। लेकिन, किसी भी तरह का कोई कानूनी कार्य सौंपे जाने से पहले एक बैंकिंग घोटाले में उनके शामिल होने से संबंधित खबरें मीडिया में आ गई थीं। इसके बाद कंपनी ने एकतरफा रूप से साझेदारी को रद्द कर दिया और उनका शुल्क लौटा दिया।
द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के मुताबिक, ‘द वायर’ ने खबर को प्रकाशित करने के योग्य नहीं समझा। लेकिन, बीजेपी की ओर झुकाव वाली एक वेबसाइट ने इस बारे में लिखते हुएदावा किया कि ‘द वायर’ जेटली को जाल में फंसाने वाली एक खबर की योजना बना रही है।'
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में अन्य कानूनी कंपनियों पर छापेमारी की जो बात कही है, उसका संबंध मुंबई में सीरिल अमरचंद मंगलदास के कार्यालय पर सीबीआई द्वारा मारे गए छापे से है। यह एक दिग्गज कानूनी कंपनी है, जिसकी सेवा कथित रूप से पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी द्वारा फरवरी मध्य में बैंक घोटाला सामने आने से एक महीने पहले ली गई थी।
नीरव मोदी और उनके मामा और गीतांजलि समूह के मालिक मेहुल चौकसी पर पीएनबी बैंक के साथ 12,600 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।
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