राफेल डील पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जश्न मना रही बीजेपी को अभी एक दिन भी पूरा नहीं हुआ था कि आज मोदी सरकार को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा पेश करना पड़ा है। सूत्रों के अनुसार इस हलफनामे में सरकार ने ये सफाई देते हुए कहा है कि सरकार ने कोई गलती नहीं की थी, बल्कि अदालत ने उसको गलत समझा और गलत तरीके से पेश किया।
मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने अपनी सफाई में कहा है कि उसने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सीएजी एक रिपोर्ट तैयार करती है और वह रिपोर्ट पीएसी में पेश की जाती है। लेकिन कोर्ट ने राफेल मामले में अपने फैसले में लिखा है कि सीएजी ने पीएसी में रिपोर्ट पेश की और पीएसी ने उस रिपोर्ट को मंजूर कर लिया। सरकार की इस सफाई से एक बात साफ हो गई है कि इस पूरे मामले में मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट दोनों में से किसी एक से गलती हुई है।
इस मामले को लेकर विपक्ष का सरकार पर आरोप है कि क्या राफेल मामले की जांच के लिए दाखिल याचिकाओं पर फैसला अपने पक्ष में कराने के लिए जानबूझ कर ये गलती की गई है। अगर इस मामले में कोर्ट की गलती है तो कोर्ट को इस मामले पर फिर से विचार करना चाहिए और अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गौरतलब है कि कल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने राफेल डील की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर फैसला देते हुए कहा था कि इस सौदे में तय प्रक्रियाओं का पालन किया गया है और कीमत के मामले को देखना अदालत का काम नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में सरकार द्वारा पेश सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि इस मामले की जांच की कोई जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जहां बीजेपी ने इसे राफेल मामले पर मोदी सरकार को क्लीनचिट बताते हुए इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही कांग्रेस पर हमला किया था, वहीं मामले में याचिका दाखिल करने वालों ने कोर्ट के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा था कि कोर्ट ने जिस सीएजी रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला सुनाया है, वैसी कोई रिपोर्ट सीएजी ने पेश ही नहीं की है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा इस मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाने के बाद आज सरकार ने सफाई देते हुए कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें उसने कहा है कि कोर्ट ने हमारे हलफनामे को गलत पढ़ा और उसको तरीके से पेश किया।
Published: 15 Dec 2018, 7:12 PM IST
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Published: 15 Dec 2018, 7:12 PM IST