चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में आज जिस तरह पीठासीन अधिकारी ने कांग्रेस और आप के 8 पार्षदों के वोट को अवैध घोषित कर बीजेपी के प्रत्याशी को विजेता घोषित किया गया, उस पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। विपक्ष ने बीजेपी पर सारी मर्यादा और नैतिकता की हत्या कर लोकतंत्र को गुंडा तंत्र में बदलने का आरोप लगाया है। मेयर चुनाव में खुली धांधली और गुंडागर्दी से नाराज इंडिया गठबंधन ने सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
दरअसल जिस तरह मेयर पद पर बीजेपी ने कब्जा किया उससे हर शख्स हैरान था। यह सरेआम हुआ। कैमरों के सामने हुआ और बेशर्मी के साथ हुआ। विपक्ष के हंगामे और भारी विरोध के बावजूद हुआ। कथित गोदी मीडिया भी स्तब्ध था। पीठासीन अधिकारी की हरकत मीडिया के लोग भी काउंट कर रहे थे। बैलेट पेपर पर पीठासीन अधिकारी का पेन हरकत करता जा रहा था। जितनी बार बैलेट पर पीठासीन अधिकारी का पेन चला उतने ही वोट रिजेक्ट कर दिए गए और बीजेपी के मेयर उम्मीदवार मनोज सोनकर को निर्वाचित घोषित कर दिया गया।
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दरअसल चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में आज बीजेपी का कांग्रेस औैर आम आदमी पार्टी में समझौता होने के बाद बने इंडिया गठबंधन से पहला सीधा मुकाबला था। इंडिया गठबंधन का भी यह पहला टेस्ट था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से 30 जनवरी को चुनाव कराने के दिए गए आदेश के बाद आज भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मतदान हुआ। 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 14 पार्षद हैं, जबकि सांसद किरण खेर का वोट मिलाकर उसके 15 मत नगर निगम में हैं। दूसरी तरफ आप के 13 और कांग्रेस के 7 पार्षद मिलाकर इंडिया गठबंधन के पास 20 वोट थे।
साफ था कि 8 साल से चंडीगढ़ नगर निगम में काबिज बीजेपी मेयर चुनाव में हारने जा रही है। यही वजह रही कि चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने ऐसा कोई हथकंडा नहीं छोड़ा, जो आजमाया जा सकता था। आज सुबह 10 बजे से मतदान आरंभ होना था, लेकिन चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ही उस वक्त तक नहीं आए थे। वह तकरीबन आधा घंटा से अधिक लेट आए। यह भी आश्चर्यजनक था।
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इसके बाद मतदान आरंभ होने से पहले पार्षदों को पूरी प्रक्रिया समझाई गई। चुनाव अधिकारी ने पहले मतदान का समय एक घंटे निर्धारित किया, लेकिन बाद में कहा कि अंतिम मत पड़ने तक यह जारी रहेगी। बीजेपी की मंशा से वाकिफ विपक्ष के पार्षदों ने मांग उठाई कि वोटिंग के दौरान एक ही रंग का पेन इस्तेमाल हो। इस पर डीसी ने चुनाव अधिकारी से आग्रह किया कि वह इसमें कलर तय करें। इस पर चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने कहा कि नीले रंग का पेन होगा। इसके अलावा सारे रंग के पेन और पेंसिल डेस्क से हटवा दिए गए।
मतदान के दौरान इंडिया गठबंधन के पार्षद इतने चौकन्ना था कि वोट डालने से पहले बैलेट पेपर पर किसी भी तरह के हल्के निशान को भी बारीकी से चेक कर रहे थे। इसी सावधानी के चलते 13 बैलेट पेपर चुनाव अधिकारी से रि-इश्यू करवाए गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बीजेपी तो तय करके आई थी कि किसी भी हालत में मेयर की कुर्सी पर उसे कब्जा करना है। तकरीबन 12 बजकर 23 मिनट पर वोटिंग समाप्त हुई। इसके करीब 17 मिनट बाद बैलेट बॉक्स को खोला गया।
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काउंटिंग से पहले भी मतदान अधिकारी और आप और कांग्रेस पार्षदों के बीच जमकर बहस हुई। इंडिया गठबंधन के पार्षद चाहते थे कि उनके एजेंट के सामने बैलेट बॉक्स को खोला जाए। उनके एजेंट के सामने काउंटिंग की जाए, लेकिन चुनाव अधिकारी ने उनकी एक नहीं सुनी। कांग्रेस और आप के पार्षद चाहते थे कि सबके सामने मतगणना हो, जबकि चुनाव अधिकारी ने कहा कि इसका एक्ट में प्रावधान नहीं है। मतगणना आरंभ करने से पहले मतपत्रों पर चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के हस्ताक्षर करते वक्त ही सारा खेल हुआ। कांग्रेस और आप के पार्षद भी यही कह रहे हैं।
आरोपों से इतर नगर निगम की छठी मंजिल पर कांफ्रेंस रूम में बनाई गई मीडिया गैलरी में लगी तमाम स्क्रीन्स में भी चुनाव अधिकारी का यह खेल साफ दिख रहा था। सभी हैरान थे कि यह हो क्या रहा है। चुनाव अधिकारी के मत पत्रों पर साइन करने के साथ संदिग्ध हरकत करते देख कांग्रेस और आप के पार्षदों ने भी उसी वक्त गंभीर आपत्ति दर्ज कराई। पार्षदों का कहना था कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीह बैलेट पेपर में गड़बड़ी कर रहे हैं। अनिल मसीह का इस पर जवाब था कि वह सिर्फ इन पर साइन कर रहे हैं। उसी वक्त वहां भारी हंगामे के हालात हो गए। मीडिया के लोग भी हक्का-बक्का थे। स्क्रीन में साफ दिख रहा था कि साइन करने के अलावा भी चुनाव अधिकारी का पेन मतपत्र पर चल रहा है। मीडिया के लोग भी स्तब्ध थे। सभी कह रहे थे कि खेला हो गया।
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यहां तक कि चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के पेन की साइन के अलावा हर हरकत को मीडिया के लोग काउंट कर रहे थे। हस्ताक्षर करने के अलावा वह किसी बैलेट पेपर में टिक करते हुए तो किसी में डॉट जैसा निशान लगाते दिख रहे थे। अनिल मसीह का पेन जितने मतपत्रों में साइन के अलावा हरकत करते हुए काउंट किया गया उतने ही पत पत्र रिजेक्ट किए गए। यह भी संयोग नहीं हो सकता कि रिजेक्ट किए गए सभी 8 वोट इंडिया गठबंधन के पार्षदों के थे।
मेयर चुनाव के लिए सांसद और 35 पार्षदों ने वोट डाला। जिसमें से बीजेपी के मनोज सोनकर को 16 और आप-कांग्रेस के कैंडिडेट को 12 वोट मिले, जबकि अलायंस के 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गए। इस तरह इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी कुलदीप टीटा को 4 मतों से हारा घोषित कर दिया गया। जल्दबाजी में जिस तरह परिणामों के ऐलान के साथ ही बीजेपी के लोगों ने मेयर की कुर्सी पर कब्जा किया वह भी स्तब्ध कर देने वाला था। ऐसा लग रहा था कि चुनाव परिणाम के ऐलान से पहले ही बीजेपी के मेयर प्रत्याशी चुनाव अधिकारी के पास खड़े हो गए थे। मानो उन्हें पता था कि परिणाम क्या आने वाला है।
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जैसे ही बीजेपी प्रत्याशी को विजेता घोषित किया गया वह मेयर की कुर्सी पर बीजेपी पा पार्षदों के साथ मानों टूट पड़े। सांसद किरण खेर के साथ तत्काल फोटो सेशन होने लगा। छोटे-छोटे चुनावों में भी गरिमा का न्यूनतम तो ख्याल रखा जाता है। लेकिन बीजेपी के पार्षदों का रवैया किसी के गले नहीं उतर रहा था। विपक्षी पार्षदों का कहना था कि किरण खेर वोटिंग के दौरान भी कह रही थीं कि आप लोग आराम से बैठो, जीतना तो हमें ही है।
इन पार्षदों का यह भी कहना है कि वोटिंग प्रक्रिया के पूरी होने और मतगणना की शुरुआत होने के बीच के तकरीबन 17 मिनट में जब चुनाव अधिकारी अंदर गए थे, उसी वक्त बीजेपी ने रणनीति को फाइनल रूप दिया था। इससे पहले वोटिंग के बीच में भी चुनाव अधिकारी अनिल मसीह अंदर जाना चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस और आप के पार्षदों ने इसका विरोध किया था। परिणाम की घोषणा के बाद कांग्रेस और आप के पार्षदों ने सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनावों का बायकॉट कर दिया।
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कांग्रेस पार्षद गुरबख्श रावत का कहना था कि भाजपा ने जो किया वह पूरा कैमरे में कैद हो गया है। यह लोकतंत्र की हत्या है। बैलेट पेपर एजेंट को दिखाए तक नहीं गए। वोट इनवैलिड होने का आधार तक नहीं बताया गया।आप नेता जरनैल सिंह ने आरोप लगाया कि काउंटिंग के दौरान एजेंट को पास में खड़ा नहीं किया गया, जबकि पिछले चुनावों में एजेंट को वोट दिखाए जाते थे। उन्होंने कहा कि वोट इनवैलिड क्यों किए गए, इसके बारे में बताया जाए।उनकी 20 में से 8 वोटें कैसे रिजेक्ट हुईं, इसका कारण बताया जाए।
कांग्रेस के सीनियर डिप्टी मेयर के प्रत्याशी गुरप्रीत गावी ने कहा कि सरेआम वीडियो में दिख रहा है कि प्रिजाइडिंग अधिकारी हमारे वोट काट रहा है। खराब कर रहा है। न तो हमारे काउंटिंग एजेंट को बुलाया गया। न हमारे एजेंट के सामने काउंटिंग की गई। लोकतंत्र की इससे बुरी तरह हत्या पहले कभी नहीं की गई है। कोर्ट के आदेशों की इससे बुरी तरह अवहेलना नहीं की जा सकती। बीजेपी घटियापंथी पर उतर आई है। इससे घटिया बात नहीं हो सकती। आज लोकतंत्र को चंडीगढ़ में पूरी तरह मार दिया गया है। हमें रिजेक्ट वोट तक नहीं दिखाए गए। कांग्रेस पार्षद और मेयर पद के उम्मीदवार रहे जसवीर बंटी ने कहा कि हमारे सामने बैलेट बॉक्स तक नहीं खोला गया। सरेआम धक्केशाही की गई। हमारा कोई वोट इनवैलिड नहीं था। हमारे 20 के 20 वोट सही पड़े थे।
मीडिया के लोगों के बीच से भी यह आवाज उठी कि यह तो खुलेआम बीजेपी की गुंडागर्दी है। कोई आज के दृश्य पर यकीन नहीं कर पा रहा था। यह सवाल भी उठा कि क्या हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में भी बीजेपी ने इसी तरह चुनाव जीते हैं? यदि यह यहां कर सकते हैं तो वहां क्यों नहीं कर सकते? फिर तो लोकतंत्र के मायने ही खत्म हो गए?
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