ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि भारत में अलपसंख्यक सुरक्षित नहीं है। उसका कहना है कि भारत में मुसलमानों के खिलाफ सुनियोजित ढ़ंग से भेदभाव करने और सरकार पर सवाल उठाने वाले लोगों के खिलाफ बदनाम करने वाले कानूनों और नीतियों को अपनाना जा रहा है। बीजेपी सरकार पुलिस और कोर्ट जैसी स्वतंत्र संस्थाओं में पैठ बनाकर धार्मिक अल्पसंख्यकों को धमकाने, उन्हें परेशान करने के लिए राष्ट्रवादी समूहों को लैस कर रही है।
Published: 20 Feb 2021, 12:18 PM IST
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि दिल्ली में हिंसा हुए पूरे एक साल हो गए हैं। इस मामले में बीजेपी नेताओं के भडकाऊ बयान और हमलों में पुलिस अधिकारियों की भूमिका की विश्वसनीय जांच के बजाए विरोध प्रदर्शन करने वालों पर निशाना बनाया गया। बता दें इस हिंसा में करीब 53 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें करीब 40 लोग मुस्लिम थे।
Published: 20 Feb 2021, 12:18 PM IST
गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही में एक अन्य विरोध प्रदर्शन को निशाना बनाया है। सरकार ने इस बार किसान आंदोलन पर कार्रवाई की है। सरकार ने इस बार अल्पसंख्यक सिख प्रदर्शनकारियों को बदनाम किया है और अलगाववादी समूहों के साथ उनके कथित संबंध को लेकर जांच शुरू की है।
Published: 20 Feb 2021, 12:18 PM IST
ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली का कहना है कि बीजेपी सरकार न सिर्फ मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों को हमलों से सुरक्षा देने में नाकामयाब हुई है, बल्कि वह कट्टरपंथियों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान कर रही है और उनका बचाव कर रही है।”
सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं, सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों और सरकार परस्त मीडिया द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों पर ठिकरा फोड़ने काम जारी है। बीजेपी नेताओं को छोड़िए
8 फरवरी को पीएम मोदी ने संसद में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेने वाले लोगों को परजीवी बताया था।
26 जनवरी को पुलिस और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच हिंसक झड़पों के बाद सरकार ने पत्रकारों को निशाना बनाया। उनके खिलाफ निराधार आपराधिक मामले दर्ज किए। इसके अलावा सरकार ने कई जगहों पर इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी। करीब 1200 सोशल एकाउंट्स को बंद कर दिए, हालाकि विवाद बढ़ता देख सरकार ने कुछ लोगों के ट्वीटर फिर से बहाल कर दिया। विरोध प्रदर्शनों के बारे में जानकारी प्रदान करने और सोशल मीडिया पर उन्हें मदद करने के तरीके बताने के लिए कथित रूप से एक दस्तावेज़ दिखाने के आरोप में सरकार ने 14 फरवरी को एक जलवायु कार्यकर्ता को गिरफ्तार भी किया है। इतना ही जलवायु कार्यकर्ता के खिलाफ राजद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप भी लगाए।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद कई विधायी और अन्य कार्य किए हैं, जिन्होंने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को कानूनी जामा पहना दिया है और उग्र हिंदू राष्ट्रवाद की जड़ें मजबूत की हैं।
सरकार ने दिसंबर 2019 में सीएए लागू किया, अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटा दिया। हाल ही में, तीन बीजेपी शासित राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किए हैं। गांगुली ने आगे कहा, “बीजेपी सरकार की कार्रवाइयों ने सांप्रदायिक नफरत की आग भड़काई है, समाज में गहरी दरारें पैदा की हैं, और अल्पसंख्यक समुदायों में सरकारी तंत्र के प्रति डर और अविश्वास को और ज्यादा गहरा किया है। एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में भारत की अवस्थिति पर गंभीर खतरे में है जब तक कि सरकार भेदभावकारी कानूनों और नीतियों को वापस नहीं लेती है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न की खातिर न्याय सुनिश्चित नहीं करती है।”
बीजेपी शासित राज्य मधेय प्रदेश और हिमाचल प्रदेश गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अध्यादेश कानून पारित किया है और हरियाणा और कर्नाटक सहित अन्य बीजेपी शासित राज्य इस पर विचार कर रहे हैं। कई राज्यों – ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड – में पहले से ही धर्मांतरण विरोधी कानून हैं, जिनका इस्तेमाल अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर ईसाइयों, जिनमें दलित और आदिवासी समुदाय शामिल हैं, के खिलाफ किया गया है।
मार्च में कोविड-19 के उभार के बाद कई हफ्तों तक बीजेपी सरकार ने कोविड मामलों में उछाल के लिए दिल्ली में आयोजित एक सार्वजनिक धार्मिक सभा को ज़िम्मेदार ठहराया जिसका आयोजन अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक मिशनरी आंदोलन, तबलीगी जमात ने किया था। इसको लेकर कुछ बीजेपी नेताओं तालिबानी अपराध करार दिया। कुछ बीजेपी नेताओं ने कोरोना आतंकवाद भी बताया।
(ह्यूमन राइट्स वाच की रिपोर्ट।)
Published: 20 Feb 2021, 12:18 PM IST
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Published: 20 Feb 2021, 12:18 PM IST