कतर की एक अदालत ने गुरुवार को 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इन सभी पर क्या आरोप हैं, इसका कोई खुलासा नहीं किया गया है। सभी 8 भारतीयबीते करीब 14 महीने से जेल में थे। इस बाबत न तो कतर सरकार और न ही भारत सरकार ने कोई स्पष्ट बयान जारी किया है कि आखिर इन 8 भारतीयों को बीते साल यानी 2022 के अगस्त माह में क्यों पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था और फिर अदालत में उनके खिलाफ क्या आरोप पत्र दाखिल किया गया।
जिन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, वे सभी भारतीय नौसेना में पहले काम कर चुके हैं और फिलहाल दोहा स्थित एक सलाहकार कंपनी अल-दहरा में काम करते थे। इन्हें अगस्त 2022 में कतर पुलिस ने हिरासत में लिया था और फिर गुरुवार को इन सभी को मौत की सजा सुना दी गई।
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जिन 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई गई है उनकी पहचान कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पुरनेंदु तिवारी, कमांडरर सुगौंकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश के तौर पर हुई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन लोगों को पहले तो एकांत कारावास में रखा गया था, लेकिन बीते कुछ महीनों से उन्हें दूसरे लोगों के साथ रखा गया। भारतीय दूतावास को इन लोगों से मिलने की इजाजत दी गई थी और संभवत: इन्हें वकीलों के जरिए अपना बचाव करने का भी मौका दिया गया था। लेकिन कतर स्थिक भारतीय मिशन और दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
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विदेश मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया है, “हमें शुरुआती तौर पर जानकारी मिली है कि कतर की अदालत ने अल-दहरा कंपनी में काम करने वाले 8 भारतीय कर्मचारियों के बारे में फैसला सुनाया है। हम इस बात को जानकर गहरे सदमे में हैं कि इन सभी को मौत की सजा सुनाई गई है। हम फैसले की विस्तृत जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। हम इन सभी के परिवार वालों और लीगल टीम के सम्पर्क में हैं। हम अपने सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इस मामले को हम बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं और सभी भारतीयों को अपने मिशन के जरिए जरूरी मदद देते रहेंगे और इस बारे में कतर के अधिकारियों से बात करेंगे।”
बयान में आगे कहा गया है कि, “मामले की गोपनीय प्रकृति के कारण इस बारे में और अधिक कहना उचित नहीं होगा।”
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गौरतलब है कि भारतीय नौसना के अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में हिरासत में लिया गया था और उन पर जासूसी के आरोप लगाते हुए वहां की सैन्य अदालत ने उन्हें 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने 2019 में फांसी पर रोक लगा दी थी। लेकिन जाधव अभी भी पाकिस्तानी जेल में हैं और उन्हें रिहा कराने की सारी कोशिशें अभी तक नाकाम रही हैं।
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