हालात

कश्मीर में आतंकवाद जारी रखने के लिए पंजाब को बनाया जा रहा अड्डा, पाकिस्तान के मंसूबों का डीजीपी ने किया खुलासा

पठानकोट में हुईं दो गिरफ्तारियों के बाद साफ हो गया है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद जारी रखने के लिए एक नए पैंतरे के तहत भारतीय पंजाब का इस्तेमाल कर रहा है। वाया पंजाब हथियार और पैसा कश्मीर जा रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पंजाब के पठानकोट में पुलिस द्वारा आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित दो संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर नए सिरे से साफ हो गया है कि कश्मीर में आतंकवाद जारी रखने और फैलाने के लिए पंजाब को ट्रांजिस्ट केंद्र बनाए जाने की कवायद जोरों पर है। सरहदी सूबे पंजाब की सीमाएं जम्मू-कश्मीर से सटी हुई हैं। पठानकोट ऐन सीमावर्ती जिला है। पहले भी पाकपरस्त आतंकियों के ठौर ठिकाने इस जिले में मिलते रहे हैं और उनकी गिरफ्तारियां भी होती रही हैं। हालिया घटनाक्रम में 11 जून को गुप्त रूप से किए गए एक बड़े ऑपरेशन के तहत पंजाब पुलिस ने श्रीनगर के शोपियां के गांव हफसारमाल के मूल बाशिंदे आमिर हुसैन वानी और इसी जिले के गांव शरमाल के रहने वाले वसीम हसल वानी को हिरासत में लिया था।

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पुलिस के मुताबिक ये दोनों अमृतसर से ट्रक में असलाह कश्मीर ले जा रहे थे। गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने ऑपरेशन करते हुए इन्हें गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से पुलिस को 10 ग्रेनेड, एक एके-47 राइफल, दो मैगजीन और 60 कारतूस मिले हैं। जिस ट्रक से यह बरामदगी की गई, वह अमृतसर सब्जी मंडी के नजदीक मकबूलपुरा वाला रोड से चला था। ट्रक में सब्जी- फल थे। शुरुआती पूछताछ में दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि हथियारों की यह खेप उन्हें दो अनजान व्यक्तियों से 11 जून की सुबह हासिल हुई थी।

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पंजाब पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि हथियारों की सप्लाई पाकिस्तान से अमृतसर बॉर्डर पर हुई। हथियार कश्मीर घाटी ले जाए जाने थे। आतंकियों से पूछताछ में सामने आया कि जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व कांस्टेबल इशफाक अहमद डार बशीर अहमद खान ने पठानकोट में गिरफ्तार आरोपियों को पंजाब से इन हथियारों की खेप ले जाने के लिए कहा था। पूर्व कांस्टेबल 2017 से फरार है और मौजूदा वक्त में घाटी में लश्कर का सक्रिय आतंकवादी है।

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डीजीपी गुप्ता कहते हैं, “आमिर और वसीम की गिरफ्तारी के साथ हुए खुलासों से पता चलता है कि पाकिस्तान की आईएसआई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सरहद पार से पंजाब और आगे कश्मीर में हथियारों की खेप की तस्करी और आतंकवादियों की घुसपैठ करवा रही है। इससे पहले 25 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने कश्मीरी आतंकवादियों के एक बड़े सहयोगी हिलाल अहमद को गिरफ्तार किया था। वह पिछले दिनों मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज अहमद नायकू की हिदायत पर अमृतसर से ड्रग मनी लेने के लिए आया था। उसने भी ट्रक का इस्तेमाल किया था।”

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पुलिस सूत्रों के मुताबिक आमिर हुसैन वानी ने खुलासा किया है कि उसने अपने ट्रक में पंजाब के लगाए दर्जन भर चक्करों के दौरान 20 लाख से ज्यादा की हवाला राशि इकट्ठा की थी। इसके लिए जगहें पूर्व कांस्टेबल डार और डॉक्टर रमीज रजा ने बताईं थीं। रमीज इन दिनों जेल में बंद है। आमिर ने यह खुलासा भी किया है कि अमृतसर की पिछली यात्राओं के दौरान उसने दो हथियारबंद हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर के आतंकवादियों को पंजाब से कश्मीर पहुंचाया था। अब वे मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। इनमें से एक जासिम शाह को काफी समय पहले गुरदासपुर बाईपास बटाला के नजदीक एक कश्मीरी होटल से एके-47 और ग्रेनेड सहित काबू किया गया था और बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले कर दिया गया था।

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बहरहाल, पठानकोट में हुईं दो गिरफ्तारियों के बाद साफ हो गया है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद जारी रखने के लिए एक नए पैंतरे के तहत भारतीय पंजाब का इस्तेमाल कर रहा है। वाया पंजाब हथियार और पैसा कश्मीर जा रहे हैं। पिछले कुछ अर्से की घटनाएं साफ इशारा करती हैं कि कुख्यात आईएसआई पंजाब को कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने के लिए बाकायदा ट्रांजिस्ट सेंटर बनाने की कवायद में है।

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लगभग सात महीने पहले पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए हथियारों की खेप पहुंचाई गई थी। कुछ खेप पकड़े जाने के बाद केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और पंजाब पुलिस ने कहा था कि इसके पीछे जैश और पाकिस्तान में पनाह लिए हुए सिख आतंकवादियों का भी हाथ है। खुफिया सूत्रों का आंकलन है कि कम से कम 15 बार हथियारों से भरे ड्रोन पंजाब भेजे गए। कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से वे रडार पर नहीं आ पाए। इस तरह का जब पहला ड्रोन पकड़ा गया तो हथियारों के जखीरे के साथ कुछ सैटेलाइट फोन भी बरामद किए गए। इन फोनों में ऐसा डाटा भी मिला जो अब तक एजेंसियों के लिए अबूझ पहेली है। यदा-कदा अब भी अमृतसर-फिरोजपुर से सटे बॉर्डर पर पाकिस्तानी ड्रोन मंडराते देखे जाते हैं।

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लॉकडाउन के बीच पंजाब में फिरोजपुर और अमृतसर से रिकॉर्ड पैमाने पर से हेरोइन और अन्य ड्रग्स बरामद हुए। इनकी कीमत अरबों रुपए में है। पंजाब से लगी भारत-पाक-सीमा पर रोज कुछ न कुछ आपत्तिजनक बरामद हो रहा है। इसमें से बहुतेरा ऐसा होता है जो वाया पंजाब कश्मीर जाना होता है। पंजाब का इस्तेमाल शायद इसलिए भी किया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तान से लगतीं तमाम सीमाएं फौज के हवाले हैं और पहरा पंजाब सीमा से कहीं ज्यादा सख्त है। पंजाब की सीमाओं पर बीएसएफ तैनात है। यह पहलू भी जिक्र-ए-खास है कि बेशुमार खालिस्तानी आतंकी सरगनाओं ने नब्बे के दशक के बाद पाकिस्तान में शरण ली हुई है और वे आईएसआई के संरक्षण में हैं। यहां तक कि पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अध्यक्ष भी आईएसआई का चयन और मोहरा होता है। पाकिस्तान में पनाह का एक ही मतलब है, ‘भारत विरोध।’ और पाकिस्तान के अलगाववादी सिख पनाहगारों के लिए वहां की फौज, आईएसआई और सरकार की साफ हिदायत है कि कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए पूरा योगदान होना चाहिए।

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