पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को प्रवर्तन विभाग (ईडी) द्वारा उनके और उनके परिवार के सदस्यों को जारी किए गए विभिन्न नोटिसों के 'टाइिंमग' पर सवाल उठाते और कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रभाव को नकारने के लिए राज्य सरकार के पारित विधेयकों के चलते ऐसा किया गया। जंतर-मंतर पर धरने के दौरान एक मीडिया से बातचीत में एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ईडी के नोटिस के अलावा, उनको और उनकी पत्नी परनीत कौर को भी आईटी ने नोटिस दिया था।
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अमरिंदर सिंह ने खुलासा किया कि उनकी दो पोतियां, जिनमें से एक कानून की छात्रा है और दूसरी की सगाई की तैयारी चल रही है, साथ ही एक किशोर पोते, को भी नहीं बख्शा गया और नोटिस दिया गया। अमरिंदर सिंह ने कहा, मुझे नहीं पता कि इन पर क्या कहना चाहिए, क्योंकि ये सभी नोटिस केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उनकी सरकार के कृषि संशोधन बिल विधानसभा में पारित करने के बाद दिए गए हैं।
आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ 'शहरी नक्सलवाद' के आरोपों को खारिज करते हुए, मुख्यमंत्री ने किसानों को विरोध करने के लिए उकसाने के आरोपों का भी खंडन किया।
उन्होंने कहा कि समस्याएं केंद्र की बनाई हुई हैं। पंजाब केवल शांति चाहता है जिसमें किसान और उद्योग सहित सभी लोग कामयाब हों।
भारतीय जनता पार्टी के इस दावे पर पलटवार करते हुए कि केंद्रीय कृषि कानून किसानों को आजाद करने के लिए है, मुख्यमंत्री ने कहा कि सच्चाई इसके विपरीत है। किसानों को कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पंजाब के किसानों के लिए ही नहीं बल्कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, सहित अन्य राज्यों के लोगों के साथ भी अन्याय है।
आम आदमी पार्टी के धरने में शामिल नहीं होने के सवाल पर अमरिंदर सिंह ने उनके डबल स्टैंडर्ड पर सवाल उठाया और पूछा कि उनके विधायक राज्यपाल से मिलने के लिए विधानसभा से पास प्रस्ताव की प्रति सौंपने क्यों गए थे।
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