पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ उल्टे-सीधे बयानों के लिए बीजेपी को आड़े हाथों लिया है। विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जोर देकर कहा कि आंदोलनकारी किसान एंटी-नेशनल नहीं हैं, बल्कि ये वे देशभक्त लोग हैं जिहोंने गलवान घाटी में अपनी जान की कुर्बानी देकर देश की एकता और संप्रभुता की रक्षा की है।
मुखय्यमंत्री ने किसानों को उपद्रवी और शरारती कहे जाने पर तुरंत रोक लगाए जाने की मांग करते हुए कहा, “ये किसान कभी भी कोई राष्ट्र विरोधी काम नहीं कर सकते, वे देश द्रोही नहीं हैं और वे कभी भी देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते।”
उन्होंने कहा, “इन किसानों का एक बेटा अगर खेत में फसल जोतता है तो दूसरा बेटा सीमा पर देश की रक्षा करता है। ये वही लोग हैं जो दूसरे राज्यों के बेटों के साथ देश की हिफाज़त करते हैं, पिछले साल गलवान घाटी में भी इन लोगों ने देश की संप्रभुता बनाए रखने के लिए अपने प्राणों की बलि दी।” कैप्टन ने केंद्र सरकार से किसानों के अपमान और उनके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान पर तुरंत रोक लगाने की अपील की।
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पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों और सरकार के बीच हुई कई दौर की बातचीत के सिलसिले में कहा कि इतनी बार बातचीत के बाद भी सरकार को न तो किसानों की चिंता है और न ही देश भर में जारी किसान आंदोलन की परवाह है, इसीलिए सरकार ने कोई पॉजिटिव कदम नहीं उठाया। कैप्टन ने कहा कि, “इसके बजाए बीजेपी के कुछ नेताओं ने किसानों के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करना शुरु कर दी, क्योंकि उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाज़ा नहीं है।” उन्होंने कहा कि सरकार और बीजेपी नेताओं के इस रवैये के चलते किसानों का गुस्सा बढ़ा है।
कैप्टन अमरिंदर ने बीजेपी नेताओं के कुछ बेहद आपत्तिजनक बयानों की तरफ विधानसभा का ध्यान दिलाते हुए कहा कि केंद्र सरकार और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा वह शर्मनाक है। ये लोग केंद्र में देश की और पंजाब के पड़ोस के राज्य में सरकारें चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन बयानों से न सिर्फ किसानों और खेतिहर कामगारों के मन में आशंकाएं पैदा हुई हैं बल्कि दो राज्यों के लोगों के बीच भी वैम्नस्य पैदा करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा, “मैं एंटी-नेशनल और खालिस्तानी जैसे शब्दों के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करता हूं।”
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उन्होंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के इस बयान की तीखी आलोचना की कि पंजाब सरकार किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के आंदोलन में पंजाब सरकार के दखल देने की इसलिए कोई जरूरत नहीं थी और न है क्योंकि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था और अभी भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने हमेशा किसानों का समर्थन किया है और हमेशा किसानों के हितों की रक्षा करती रहेगी। उन्होंने पीयूष गोयल के उस बयान की निंदा की जिसमें गोयल ने कहा था कि किसानों के आंदोलन को माओवादी और एंटी-नेशनल तत्वों हाईजैक कर लिया है। उन्होंने कहा कि अगर पीयूष गोयल के पास ऐसी ही जानकारी है तो फिर उनकी सरकार इन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ के आरोपों को भी भ्रामक और तथ्यहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर कृषि कानून किसाने के लिए लाभकारी हैं तो फिर आखिर केंद्र सरकार अपनी असीम शक्तियों का इस्तेमाल कर इन कृषि कानूनों को पक्ष में माहौल क्यों नहीं तैयार कर पाई।
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हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल की इस अपमानजनक टिप्पणी का जिक्र करते हुए कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की किसी भी हाल में मौत हो जाएगी, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना था कि कृषि मंत्री का कर्तव्य किसानों की बात करना है, न कि उनके कल्याण और उनकी भलाई और उनकी मेहनत और बलिदान को कम आंकना। मुख्यमंत्री इस असंवेदनशील आचरण के लिए दलाल से बिना शर्त माफी की मांग की। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन के दौरान अब तक 200 से अधिक किसानों की मृत्यु हुई है जिसमें 125 पंजाब से हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आचरण को '' सबसे खेदजनक '' करार देते हुए, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पड़ोसी राज्य की सरकार ने आंदोलनकारियों के खिलाफ बल का उपयोग करके लोकतांत्रिक कामकाज के स्थापित मानदंडों का उल्लंघन किया है।
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उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा के मुख्यमंत्री के पास अलगाववादियों की मौजूदगी की खबर है तो वे ये सारी सूचनाएं अपनी पार्टी के केंद्र सरकार को क्यों नहीं देते। लेकिन इसके बजाए वे किसानों को बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने आंदोलन नहीं शुरु कराया बल्कि शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों के लोकतांत्रिक अधिकार का सम्मान किया है।
मुख्यमंत्री ने अश्विनी शर्मा, हरजीत सिंह ग्रेवाल और सुरजीत सिंह जियानी जैसे अन्य बीजेपी नेताओं को उनके व्यवहार और टिप्पणियों को शर्मनाम बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान किसानों का अपमान हैं।
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