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पंजाब के मुख्यमंत्री की केंद्र सरकार को दो टूक, 'SYL नहर के निर्माण का सवाल ही नहीं उठता'

मान ने कहा, "ऐसे पसमंजर में किसी भी और राज्य के साथ पानी की एक बूंद भी साझा करने का कोई सवाल ही नहीं उठता, इसलिए पंजाब एसवाईएल के निर्माण का पुरजोर विरोध करता है।"

फोटो: IANS
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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से कहा कि सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि राज्य के पास किसी के साथ साझा करने के लिए पानी की एक बूंद भी नहीं है।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखवत द्वारा बुलाई गई अंतर्राज्यीय बैठक में राज्य का मामला पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को "अपनी सिंचाई जरूरतों को पूरा करने के लिए 54 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) से अधिक पानी की जरूरत है"।

उन्होंने कहा, "हालात इतने गंभीर हैं कि पंजाब के पास सिर्फ 14 एमएएफ पानी है, जो वह खाद्य उत्पादकों को दे रहा है"।

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मान ने कहा, "ऐसे पसमंजर में किसी भी और राज्य के साथ पानी की एक बूंद भी साझा करने का कोई सवाल ही नहीं उठता, इसलिए पंजाब एसवाईएल के निर्माण का पुरजोर विरोध करता है।"

मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज नदी पहले ही सूख चुकी है और इससे पानी की एक बूंद भी बांटने का सवाल ही नहीं उठता।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब के पास हरियाणा के साथ साझा करने के लिए बहुत ज्‍यादा पानी नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार पानी की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन जरूरी है।

मान ने कहा कि पंजाब के 76.5 प्रतिशत ब्लॉक (153 में से 117) अतिदोहित हैं, जहां भूजल दोहन का स्तर 100 प्रतिशत से अधिक है, जबकि हरियाणा में केवल 61.5 प्रतिशत (143 में से 88) ही अतिदोहित हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संकट को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जिसके कारण राज्य एसवाईएल के निर्माण के किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करेगा।

तेजी से घटते जलस्तर के बाद उभरती स्थिति की गंभीरता पर गहरी चिंता जताते हुए मान ने कहा, "यह जानना वास्तव में दयनीय है कि दुबई और अन्य खाड़ी देशों में तेल निकालने के लिए जिन उच्च शक्ति वाली मोटरों का उपयोग किया जाता है, उन्हीं उच्च शक्ति वाली मोटरों का उपयोग राज्य में भूजल निकालने के लिए किया जा रहा है।"

उन्होंने कहा कि ऐसी चिंताजनक स्थिति में राज्य के जल बंटवारे के लिए एसवाईएल नहर के निर्माण की अनुमति कैसे दी जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पानी की कम उपलब्धता के मुद्दे को केंद्र के सामने जोरदार तरीके से रखा है और इसे शीर्ष अदालत के फैसले में भी दर्ज किया गया है।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी पंजाब "हमारी आने वाली पीढ़ी के अधिकारों की रक्षा के लिए" सुप्रीम कोर्ट में अपना मामला पेश करेगा।

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