क्रांतिकारियों की सरजमीं पंजाब की ऐसी खबरें उसकी बेहद नागवार छवि दुनिया के सामने रखती हैं कि इस सूबे में अब नशे का छठवां दरिया बह रहा है। मीडिया में ऐसी खबरों को बहुत कम या हाशिए पर जगह मिलती है, जिसे 'नवजीवन' रिपोर्ट कर रहा है। यह 'नारकोटिक्स एनोनिमस (एन. ए)' की पंजाब में चल रही मुहिम से जुड़ी एक बहुत सुखद घटना जुड़ी हुई है। आइए, 'उड़ते पंजाब' के जमीन पर आने की एक सकारात्मक तस्वीर से आपको रूबरू कराते हैं।
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नशे के लिए सबसे ज्यादा बदनाम शहरों में से एक बठिंडा में 'रोड टू रिकवरी' समूह की ओर से एक रिसोर्ट में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें 400 से ज्यादा उन नौजवानों ने शिरकत की जो सदा के लिए ड्रग्स को अपने मनोबल के दम पर अलविदा कहकर सामान्य जिंदगी में लौट आए हैं और दूसरे नशे के आदी नौजवानों को इससे दूर करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। 'रोड टू रिकवरी' नारकोटिक्स एनोनिमस की पंजाब में सक्रिय महत्वपूर्ण इकाई है। बठिंडा में 5 साल की कामयाबी के साथ पूरे करने की खुशी में जो आयोजन किया, उसमें राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए नौजवानों ने हिस्सा लिया।
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‘नवजीवन’ को मिली जानकारी के मुताबिक, नशा छोड़ चुके 400 से ज्यादा नौजवानों ने इस आयोजन में अपने-अपने अनुभव और नशामुक्त नई जिंदगी से जुड़ी बातें साझा कीं। कार्यक्रम में दीप जलाए गए जो जीवन की नई रोशनी के प्रतीक हैं। इसके साथ ही रंगोली भी सजाई गई। ड्रग्स की अति गंभीर आदत का शिकार रहे और अब एकदम सामान्य 10 युवकों ने अपने हाथों से विशाल केक काटकर साथियों का मुंह मीठा कराया। यानी नए जीवन का जश्न नई तरह से मनाया गया। साथ ही यह संकल्प लिया कि ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को नशे के दलदल से निकालने की हर संभव कोशिश की जाएगी और अगले साल ऐसे आयोजन में शिरकत करने वालों की तादाद 400 से बढ़कर 4000 तक या उससे भी ज्यादा की जाएगी।
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गौरतलब है कि पंजाब में विश्वस्तरीय अभियान नारकोटिक्स एनोनिमस के दर्जनों समूह सफलतापूर्वक चल निकले हैं, जिन से जुड़े लोग अपनी 'इच्छा शक्ति' से खुद नशा छोड़ते हैं और फिर दूसरे नशेड़ियों को प्रेरित करते हैं। यह 'रहस्य' बताते हैं कि नशे के अंधे कुएं से कैसे आसानी के साथ बाहर निकला जाए। हालांकि बठिंडा में हुए जश्न के आयोजन में नारकोटिक्स एनोनिमस के उन्हीं लोगों ने शिरकत की जो नशा त्याग चुके हैं। यह कार्यक्रम 5 घंटे चला। इसे करीब से देखने वाले एक नौजवान का कहना है कि आलम यह था कि बगैर नशे के ऐसी मस्ती हो रही थी कि पूछिए मत। एक भी पल व्यर्थ नहीं गया, आगे के अभियान को लेकर खुला विचार विमर्श हुआ और अनेक अहम फैसले लिए गए।
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'रोड टू रिकवरी' के इस कार्यक्रम में होशियारपुर, जालंधर, मानसा, पटियाला, मोगा, अमृतसर, मुक्तसर, तरनतारन और फिरोजपुर से आए नौजवान शामिल हुए। कार्यक्रम के पहले सत्र में गंभीर रूप से आदी रहे, नशा छोड़ने वालों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। दूसरे सत्र में कुछ नौजवानों ने गुप्त चिट्ठियों के माध्यम से अपनी कुछ मुश्किलें बताईं। पुराने नौजवानों ने करीब 60 सवालों के तार्किक जवाब दिए। 'काऊन-डाऊन' सत्र में सीनियर से जूनियर सदस्यों ने माइक पर बताया कि अब जिंदगी कैसी लगती है। कैसे वे जिंदगी से खुद ही दूर हो गए थे और अब दोबारा जिंदगी ने शिद्दत के साथ उन्हें गले लगा लिया है। मंच से ‘न नशा करूंगा न करने दूंगा’ की शपथ भी दिलाई गई।
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इस कार्यक्रम के लिए 4000 रुपये प्रति सदस्य रजिस्ट्रेशन फीस रखी गई थी। वॉलंटरियों और मेजबान की भूमिका बठिंडा के सदस्यों ने अदा की। जमा की गई राशि का इस्तेमाल नशा छुड़ाने के अभियान में किया जाएगा। शिरकत करने वाले जालंधर के एक नौजवान ने ‘नवजीवन’ को बताया कि कार्यक्रम में करीब 50 सदस्य ऐसे थे, जिन्होंने एक साल के भीतर ड्रग्स छोड़े हैं। मुख्यधारा में लौटे इन नौजवानों ने 'वापस आओ' का संदेश दिया। समारोह में शिरकत करने वाले हर तबके, धर्म और वर्ग से संबंधित लोग थे। सब की पहचान गुप्त रखी गई। वैसे भी नारकोटिक्स एनोनिमस से जुड़े लोगों की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, और मीडिया में उनके नाम तो हरगिज नहीं दिए जाते। एक अन्य नौजवान ने कहा कि अब पंजाब की जवानी को नारकोटिक्स एनोनिमस के फरिश्ते ही बचा सकते हैं।
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इस अभियान के तहत पंजाब में सक्रिय लोग अब पड़ोसी राज्यों के ड्रग्स मरीजों से भी संपर्क कर रहे हैं। बठिंडा जैसे कार्यक्रम पंजाब के हर जिले में इस साल लगातार आयोजित किए जाएंगे। एक वरिष्ठ सक्रिय कर्मी ने बताया कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश उत्सव के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा नशे के शिकार लोगों को बचाने की मुहिम तेज की जाएगी।
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