लापता छात्र नजीब की बरामदगी के लिए लगातार कोशिशें कर रहीं मां फातिमा नफीस के समर्थन में मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारी संख्या में महिलाओं ने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में देश भर से कई मामलों की पीड़ित महिलाएं एक साथ जुटीं। नजीब की मां फातिमा नफीस का साथ देने के लिए प्रदर्शन में लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय भी शामिल हुईं।
प्रख्यात लेखिका अरुंधति रॉय ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “आज, हम उस दौर में आ गए हैं, जहां हम उस महिला के साथ बैठे हैं, जिसके पति तबरेज अंसारी को पीट-पीटकर मार डाला गया है। न तो पुलिस और न ही अदालतों ने मामला दर्ज किया। वह सिर्फ उन लोगों द्वारा नहीं मारा गया था, जिन्होंने उसकी पिटाई की थी, बल्कि तबरेज को इस देश के संस्थानों ने मार डाला।”
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उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा हम इसी समय एक ऐसी मां के साथ बैठे हैं जिसके बेटे को गायब कर दिया गया है और साथ ही एक बहन के साथ बैठे हैं, जिसकी बहन की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आने वाला समय हम सब के लिए सबसे बड़ी परीक्षा की घड़ी होने वाली है। सरकार ने सभी संस्थानों को नष्ट कर दिया है। और अब यह समझना मुश्किल है कि क्या जमीन, जमीन रहेगी और क्या आसमानस असमान रह पाएगा" अरुंधति ने समाज की तस्वीर खींचते हुए कहा, “लिंचिंग, हत्या और गायब करवाना बहुत बड़ी बीमारी का लक्षण है। और इस समय हमारा समाज बहुत बीमार हो चूका है।”
मंगलवार को जंतर-मंतर पर आयोजित विरोध-प्रदर्शन में जेएनयू से लापता छात्र नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस, झारखंड में मॉब लिंचिंग का शिकार हुए तबरेज अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन और कर्नाटक की पत्रकार गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश शामिल हुईं। इस प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पत्नी रजनी सिंह को भी शामिल होना था, लेकिन अचानक तबीयत खराब होने की वजह से वह नहीं आ सकीं।
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इस दौरान फातिमा नफीस ने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि सरकार उनके बेटे नजीब की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे। फातिमा नफीस ने जोर देकर कहा कि एक मां जीतेगी, सरकार हार जाएगी। नजीब को वापस लाया जाएगा। वहीं मृत तबरेज अंसारी की पत्नी शाइस्ता ने बड़ी मुश्किल से टूटी-फूटी आवाज में बोलते हुए कहा, “आप सभी को अच्छी तरह से पता है कि मेरे पति को कैसे पीटा गया। मैं झारखंड से दिल्ली आई और दर-दर भटककर केवल उसके लिए न्याय की मांग करती रही। मुझे अभी तक न्याय नहीं मिला है।
प्रदर्शन में मौजूद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा, "मैं इस समय यह नहीं कहूंगा कि नजीब को जबरन गायब कर दिया गया है, क्योंकि मुझे नहीं पता है। यह मेरा काम नहीं है। यह पुलिस और सीबीआई का काम है कि ये पता लगाए कि क्या हुआ था।” हालांकि, उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान नजीब को खोजने या न्याय की मांग करने वालों को न्याय सुनिश्चित करने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि वे हमारे जीवन को महत्व नहीं देते हैं। सवाल तब उठता है, यदि आप मुझे महत्व नहीं देते हैं, तो आप मुझसे कैसे सम्मान की उम्मीद करते हैं?”
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इस विरोध प्रदर्शन में दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। प्रदर्शन में मौजूद मिरांडा हाउस कॉलेज की एक छात्रा ने कहा, “मैं यहां अपने लिए हूं। मैं यह सुनिश्चित करने के लिए आई थी कि विरोध का जो भी थोड़ा सा स्थान बचा है, हम उसका उपयोग कर सकते हैं।” मिरांडा हाउस में ही पढ़ने वाली एक कश्मीरी छात्रा ने कहा, "एक छात्र को भारत के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से गायब कर दिया गया, यह बिलकुल स्वीकार्य नहीं है।"
प्रदर्शन में शामिल कवि सबिका नकवी ने कहा, "पहले से ही उत्पीड़ित और हाशिए पर पहुंचाए गए लोगों के कंधे पर ये जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए कि वही आवाज भी उठाए और तड़पे भी वही। उन्होंने कहा, “हम सभी जो बोल रहे हैं वह एक या दो दिन में इसे भूल जाएंगे। भूलने की यह परंपरा समाप्त होनी चाहिए।”
(नवजीवन के लिए आमिर मलिक की रिपोर्ट)
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