हरियाणा में प्रापर्टी आईडी बनाने में हुआ घोटाला खट्टर सरकार के गले की फांस बन गया है। यह कोई सामान्य मामला नहीं है। राज्य के 1 करोड़ से अधिक लोग इससे प्रभावित हैं। 42.70 लाख प्रॉपर्टी के सर्वे का मामला है। हालत यह है कि हरियाणा के 88 शहरों, जिसमें 11 म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, 23 म्यूनिसिपल काउंसिल और 54 म्यूनिसिपल कमेटी शामिल हैं, के प्रभावित 1 करोड़ से अधिक लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी सही कराने के लिए महीनों से दलालों के हाथों लुट-पिट रहे हैं। 88 शहरों के 1 करोड़ से अधिक नागरिकों की जिंदगी बिचौलियों, दलालों, और सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी की भेंट चढ़ गई है।
कांग्रेस के तीन दिग्गज नेताओं कांग्रेस महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, छत्तीसगढ़ प्रभारी कुमारी सैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की बहू और तोशाम से विधायक किरण चौधरी ने आज चंडीगढ़ में खट्टर सरकार पर जमकर हमला बोला। तीनों नेताओं ने कहा कि नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में लोगों से हो रही खुली लूट और भ्रष्टाचार का आलम यह है कि खुद शहरी स्थानीय निकाय विभाग भी बेतहाशा रिश्वतखोरी और लूट-खसूट की बात को अपने औपचारिक पत्राचार में स्वीकार कर चुका है। हरियाणा की जनता बीजेपी-जेजेपी सरकार को पानी पी-पीकर कोस रही है, धिक्कार रही है, दर-दर की ठोकरें खा रही है, पर न कोई सुनने वाला और न कोई राहत देने वाला है। मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला अब रोम के शासक ‘‘नीरो की भूमिका’’ में हैं। अंतर केवल इतना है कि आज के हरियाणा के नीरो की ये जोड़ी हेलीकॉप्टर की सवारी कर रही है और लोग सड़कों पर छाती पीट रहे हैं।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि दलालों और कर्मचारियों ने ‘वैध कॉलोनी’ को ‘अवैध कॉलोनी’ में डाल दिया और ‘अवैध कॉलोनी’ को ‘वैध कॉलोनी’ में डाल दिया। अधिकतर प्रॉपर्टी की मिल्कियत मालिक की बजाय किसी और के नाम चढ़ा दी। कई जगह किराएदारों को मालिक दिखा दिया। कई-कई मकानों की एक प्रॉपर्टी आईडी बना दी। अब मकान मालिक आपस में उलझते घूम रहे हैं। प्रॉपर्टी का एरिया और मकान का साईज, दोनों जानबूझकर गलत भर दिए। अब अधिकतर पुराने मकानों की रजिस्ट्री की मिल्कियत उपलब्ध नहीं है और लोग लूटपाट के शिकार हैं। एक ही प्लॉट की दो-दो प्रॉपर्टी आईडी बना दी गई या फिर मकान के अलग-अलग कमरों की अलग आईडी बना दी। अब लोग ठीक करवाने के लिए धक्के खा रहे हैं।
इसी तरह रिहायशी मकानों को जानबूझकर कमर्शियल दिखा दिया। कमर्शियल प्रॉपर्टी और दुकानों को रिहायशी दिखा दिया। अब लोगों को इसे दुरुस्त करवाने के लिए रिश्वतखोरी का शिकार बनना पड़ रहा है। सरकारी जमीन पर बनी झुग्गियों और ग्रीन बेल्ट तक की प्रॉपर्टी आईडी बना दी गई। नगर पालिका, सरकारी विभागों की जमीन पर नाजायज कब्जाधारियों की भी प्रॉपर्टी आईडी बन गई। अब वो प्रॉपर्टी आईडी के आधार पर हजारों करोड़ की सरकारी संपत्तियों को अपना बताने लगे हैं। प्रॉपर्टी आईडी से जुड़े फोन नंबर बदलकर दूसरे जिलों के लोगों के फोन नंबर लगा दिए गए। अब उन पर मैसेज आता ही नहीं और दुरुस्ती के लिए हजारों की रिश्वत देनी पड़ रही है। खट्टर सरकार ने कानून बदलकर शहरी प्रॉपर्टी की बिक्री, ट्रांसफर, गिफ्ट इत्यादि पर नो ड्यूज़ अनिवार्य कर दिया है। नो ड्यूज़ सर्टिफिकेट पोर्टल के नाम पर भारी धांधली और भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है।
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कांग्रेस के तीनों दिग्गज नेताओं ने कहा कि इसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि शहरों में प्रॉपर्टी की एनओसी नहीं मिल रही है। मकानों का नक्शा पास नहीं हो रहा है। प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री, लीज़ या किरायानामा नहीं हो रहा है। प्रॉपर्टी की विरासत नहीं हो रही है। प्रॉपर्टी पर बैंकों द्वारा लोन पास नहीं हो रहे हैं। बकाया प्रॉपर्टी टैक्स नहीं दिया जा रहा है। बकाया प्रॉपर्टी टैक्स के ब्याज में 100 प्रतिशत छूट नहीं मिल रही है। इसके अलावा भी लोगों की परेशानी के हजारों और कारण बने हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने विस्तार से इस पूरे मामले पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे के लिए 13 अगस्त, 2019 को डायरेक्टर, लोकल बॉडी और याशी कंसल्टिंग सर्विसेज़ प्राईवेट लिमिटेड, जयपुर में लिखित एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट की क्लॉज़ 7.1 के मुताबिक यह काम 4 महीने यानि 12 दिसंबर, 2019 तक पूरा करना था। ठेकेदार पर विशेष मेहरबान खट्टर सरकार ने दसियों एक्सटेंशन दे डाले और तीन साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अधिकतर काम गलत और बोगस निकला। प्रदेश के 88 शहरों में 42.70 लाख प्रॉपर्टी का सर्वे किया गया, जिसमें 85 प्रतिशत सर्वे गलत निकला। खुद मुख्यमंत्री खट्टर ने 7 जुलाई, 2023 को यह स्वीकारा कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 8 लाख गलतियां पकड़ी गईं।
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कांग्रेस नेताओं ने बताया कि स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने 17 दिसंबर, 2022 को यह स्वीकारा कि प्रॉपर्टी आईडी में 15.50 लाख गलतियां मिलीं। अब मुख्यमंत्री और उनके मंत्री में ही प्रॉपर्टी आईडी की गलतियों को लेकर 100 प्रतिशत विरोधाभास हो तो आम जनमानस का क्या हाल होगा? प्रॉपर्टी आईडी सर्वे वाली याशी कंपनी की भयंकर त्रुटियां पकड़े जाने के बावजूद न टेंडर कैंसिल किया गया न पैनाल्टी लगाई और न ही ब्लैक लिस्ट किया गया। इससे मिली-भगत साफ है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एग्रीमेंट की क्लॉज़ 41.5 में साफ लिखा है कि अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 10 प्रतिशत तक गलतियां पाई गईं तो ठेकेदार कंपनी को दोगुना जुर्माना लगेगा। अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की गलतियां 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत होंगी तो जुर्माना चार गुना होगा। अगर गलतियां 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत होंगी तो जुर्माना 8 गुना होगा। अगर गलतियां 20 प्रतिशत से अधिक होंगी तो टेंडर कैंसल कर दिया जाएगा। प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में याशी कंपनी द्वारा 85 प्रतिशत गलतियां होने के बावजूद न तो खट्टर सरकार ने टेंडर कैंसल किया न जुर्माना लगाया और न ही कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पूरा हरियाणा गवाह है कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 85 प्रतिशत से अधिक गलतियां हैं। फिर ठेकेदार कंपनी के खिलाफ पैनल्टी या टेंडर खारिज करने और याशी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। प्रॉपर्टी आईडी घोटाला चल रहा था और खट्टर सरकार और उसके अधिकारी आंखें मूंद सोए पड़े थे। टेंडर एग्रीमेंट के क्लॉज़ 40.2.1 के मुताबिक पूरे प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की लगातार निगरानी के लिए डायरेक्टर, लोकल बॉडीज़ की अध्यक्षता में ‘प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमिटी’ का गठन हुआ था, जिसे हर 15 दिन में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की दुरुस्ती के बारे में जांच करनी थी और पूरे प्रोजेक्ट के वर्क शेड्यूल की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी भी थी।
इसी प्रकार टेंडर एग्रीमेंट की क्लॉज़ 40.2.2 के मुताबिक स्टीयरिंग कमेटी का गठन हुआ, जिसे प्रॉपर्टी आईडी प्रोजेक्ट के खत्म होने तक सारी जिम्मेवारी का निर्वहन करना था। पर सच्चाई यह है कि याशी कंपनी ने मनमर्जी से पूर्णतया गलत सर्वे किया। खट्टर सरकार और उसके अधिकारियों ने न कोई मॉनिटरिंग की और न जिम्मेवारी निभाई। हरियाणा की 1 करोड़ जनता को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। खट्टर सरकार खुद याशी कंपनी को क्लीन चिट दे रही है। उसने न तो ठेकेदार कंपनी पर कार्रवाई की और न ही गलत प्रॉपर्टी आईडी सर्वे पर दस्तखत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई एफआईआर की।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि याशी कंपनी द्वारा किए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की रैंडम जांच करके नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के अधिकारियों द्वारा प्रॉपर्टी आईडी सही होने का सर्टिफिकेट दिया गया और इसके आधार पर गुपचुप तरीके से सरकारी खजाने से ठेकेदार कंपनी को 60 करोड़ रुपये का भुगतान भी हो गया। स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने तो याशी कंपनी को क्लीनचिट देते हुए प्रॉपर्टी सर्वे की गड़बड़ियों का ठीकरा हरियाणा के कर्मचारियों पर फोड़ दिया। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि ठेकेदार कंपनी पर कार्रवाई करने की बजाय खट्टर सरकार ने सरकारी खजाने से 60 करोड़ रुपया का भुगतान याशी कंपनी को कर दिया। क्या मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम याशी कंपनी पर इस विशेष मेहरबानी का कारण बताएंगे? क्या यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार नहीं?
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे गलत है तो याशी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर उस पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी और मिलीभगत करने वाले सभी अधिकारियों पर भी एफआईआर होनी चाहिए। हिंदुस्तान के इतिहास में शायद यह पहला केस है, जहां खुद मंत्री ठेकेदार कंपनी को क्लीनचिट दे रहे हैं और ठेकेदार कंपनी की गलतियों का ठीकरा सरकारी कर्मचारियों पर फोड़ रहे हैं। यही नहीं प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में भयंकर गलतियों और घोटालों की वजह से ‘‘प्रॉपर्टी टैक्स’’ रिकवर नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी त्रासदी तो उस दिन होगी, जिस दिन 42.70 लाख शहरी प्रॉपर्टीज़ के प्रॉपर्टी टैक्स बिल जारी होंगे क्योंकि उस दिन न मिल्कियत सही होगी न लैंड यूज़ सही होगा, न प्लॉट एरिया सही होगा और न ही सैंक्शंड और अनसैंक्शंड कॉलोनी का अंतर होगा। इसीलिए प्रॉपर्टी बिल इश्यू नहीं किए जा रहे हैं और सरकारी खजाने को चूना लग रहा है।
बात साफ है- हरियाणवी बेहाल-खट्टर सरकार के मित्र मालामाल!
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