हालात

अधर में लटका है हरिद्वार कुंभ, न तैयारी, न नोटिफिकेशन, संतों की छावनी से लेकर आने के रास्ते तक नहीं तैयार

हरिद्वार में होने वाला कुंभ इस साल समय पर शुरु हो पाएगा इसमें आम लोगों को ही नहीं साधु-संतों को भी संशय है। अभी तक कुंभ की न तो कोई तैयारी पूरी हुई है और न ही आने-जाने के रास्ते। इसी के चलते कुंभ का नोटिफिकेशन तक जारी नहीं किया गया है।

मकर संक्रांति स्नान के बाद भी हरकी पैड़ी पर निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ। जगह-जगह पर ऐसे ढेर मिल जाएंगे
मकर संक्रांति स्नान के बाद भी हरकी पैड़ी पर निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ। जगह-जगह पर ऐसे ढेर मिल जाएंगे 

प्रयागराज में वर्ष 2019 में अर्द्धकुंभ था। फिर भी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जबरन इसे कुंभ का नाम देकर बड़ा धार्मिक-राजनीतिक इवेन्ट बना दिया था। इधर, हरिद्वार में इस बार कुंभ है, लेकिन इसकी तैयारी अब भी नहीं हो पाई है। इसी वजह से अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है जबकि परंपरा के अनुसार इसे 1 जनवरी को ही जारी हो जाना चाहिए था। इसका असर यह है कि मकर संक्रांति स्नान आधी-अधूरी तैयारियों के बीच ही निबटा। तैयारी है नहीं इसलिए मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी-जैसे महत्वपूर्ण पर्व स्नान को भी सरकार इसी तरह निबटाना चाह रही है ताकि स्नान भी हो जाए और जिम्मेदारी भी न निभानी पड़े । नोटिफिकेशन 20 फरवरी को जारी होने और सरकारी स्तर पर मेला 27 फरवरी से होने की उम्मीद है।

Published: undefined

फोटो : सोशल मीडिया

हरिद्वार कुंभ गुरु वृहस्पति के कुंभ राशि और सूर्य के मेष राशि में एक समय में होने पर बनने वाले विशेष नक्षत्रीय संयोग में होता है। हरिद्वार कुंभ के लिए इस बार यह संयोग अपने नियत वर्ष 2022 से एक साल पहले 11 अप्रैल, 2021 के बाद बेहद कम समय 27 अप्रैल तक के लिए बन रहा है। कुंभ के लिए जूना, अग्नि, आह्वान और आनंद अखाड़े के रमता पंचों का नगर आगमन 25 जनवरी को होना है। इससे पहले उन्हें इकट्ठा होने के लिए ज्वालापुर में डेरा डालना होता है। लेकिन इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। तीनों बैरागी अखाड़े छावनी के लिए भूमि आवंटन की मांग कर रहे हैं, पर अब तक कुछ नहीं हुआ है। इससे नाराज जूना अखाड़ा सहित तीनों अखाड़ों के साधु-संन्यासियों ने मेला भवन पर 18 जनवरी को धरना-प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि इसे लेकर पहले भी कई बार नाराजगी जता चुके हैं। हालत यह है कि कुंभ की हृदयस्थली हर की पैड़ी समेत सभी जगहों के निर्माण कार्य आधे-अधूरे ही पड़े हैं। न तो मेला क्षेत्र में अब तक एक भी टेंट लगा है और न ही किसी भी अखाड़े की छावनी की स्थापना ही हुई है; न पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था हुई है और न ही मेला क्षेत्र में अस्थायी विद्युतीकरण। पूरे मेला क्षेत्र को समतल बनाने का काम तक बाकी है। बिगड़ी स्थिति का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हर की पैड़ी के अधूरे निर्माण कार्यों के बीच ही श्रद्धालुओं और संत-महात्माओं को जैसे-तैसे मकर संक्रांति स्नान करना पड़ा। हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड पर

Published: undefined

अब भी स्नान घाट का निर्माण का चल रहा है और इसके जल्द खत्म होने की उम्मीद भी नहीं है। हर की पैड़ी पर इसकी प्रबंध कार्यकारिणी संस्था श्रीगंगा सभा का अधिकारिक कार्यालय तैयार नहीं हो सका है। मेडिकल हेल्प सेंटर, जूता स्टॉल, महिला घाट, सड़क से घाट तक आने वाले पुल-सीढ़ी और ह रकी पैड़ी पुलिस चौकी का अनुरक्षण कार्य- सब कुछ अधूरा ही है। दोनों मुख्य मार्ग अपर रोड और भीमगोड़ा का बनना भी अभी बाकी है। मेले के दौरान आम लोगों को यहां पहुंचने में भी भारी परेशानी होने वाली है। हरिद्वार को दिल्ली , मुरादाबाद और देहरादून से सड़क मार्ग से जोड़ने वाले तीनों हाइवे

का निर्माण भी पूरा नहीं हो सका है। मुजफ्फरनगर-मेरठ-दिल्ली की दि शा में हाइवे पर कई फ्लाईओवर, पुल, अंडरपास, बाईपास और फोरलेन सड़क के निर्माण अब भी अधूरे हैं जबकि इन्हें अब तक पूरा हो जाना था। अब एनएचएआइ ने इसके लिए 15 फरवरी तक का समय दिया है। करीब आधा दर्जन मौकों पर वह अपनी डेडलाइन बदल चुकी है। इसी तरह, हाइवे के देहरादून जाने के हिस्से पर शहरी क्षेत्र के दूधाधारी चौक पर अंत समय में किए गए बदलाव के कारण यहां बनने वाला 120 मीटर के फ्लाईओवर का कुंभ से पहले बन पाना असंभव ही है।

Published: undefined

यही हाल हरिद्वार-बिजनौर-मुरादाबाद फोरलेन हाइवे का भी है। उत्तराखंड के हिस्से वाला करीब 35 किलोमीटर का हिस्सा कई जगहों पर अधूरा है। इसके रास्ते में पड़ने वाला करीब 800 मीटर का कोटावाली पुल अपने निर्माण के शुरुआती चरण में है। इसी तरह श्यामपुर और लालढांग क्षेत्र में इसे चौड़ा करने के लिए पहाड़ काटने का काम भी अभी चल रहा है। ऐसे में इसके भी कुंभ से पहले तैयार होने की कोई संभावना नहीं। कुंभ के लिए राज्य मार्ग के स्तर से प्रमोशन पाकरराष्ट्रीय मार्ग की श्रेणी में आया करीब 48 किलोमीटर का हरिद्वार-दिल्ली वाया लक्सर-पुरकाजी हाइवे पर तो तमाम काम अभी शुरु तक नहीं हुए हैं। कुंभ में भीड़ बढ़ने की दिशा में यातायात नियंत्रण के लिए इसे बेहद मुफीद माना गया है। देश के अलग-अलग इलाकों से आकर मेले में अपने बड़े -बड़े पंडाल लगाकर सेवा के विभिन्न काम करने वाली धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के लिए भी अब तक जमीन का आवंटन तक नहीं हो पाया है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined