प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने गुरुवार को जांच एजेंसी सीबीआई के निदेशक को 46 पन्नों की शिकायत देते हुए पीएम मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने रिलायंस डिफेंस कंपनी के मालिक अनिल अंबानी और दसॉल्ट एविएशन के एरिक ट्रैपियर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने अपनी शिकायत में कहा है, “हमारी आपसे मांग है कि पीएम मोदी के साथ षड़यंत्र रचकर अनुचित आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए अनिल अंबानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और मामले की जांच कर मुकदमा चलाया जाए।”
पीएम मोदी और मनोहर पर्रिकर के खिलाफ कार्रवाई के लिए भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम-1988 की धारा ‘अधिकार के दुरुपयोग’ का हवाला देते हुए शिकायत में कहा गया है, “अनिल अंबानी की कंपनियां डूबने के कगार पर हैं। उनके समूह की कंपनियों को कर्ज देने वालों ने अपनी रकम निकलवाने के लिए उनकी कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी है। रिलायंस एडीए को अपने ऊपर ब्याज का भुगतान करने और दिवालिया कार्यवाही से बचने के लिए अपनी कई बहुमूल्य संपत्तियां बेचनी पड़ी हैं। इन परिस्थितियों में इन दोनों (मोदी और अनिल अंबानी) द्वारा रचे गए एक षड़यंत्र के तहत पीएम मोदी ने अपने अधिकार का दुरुपयोग और अपने कर्तव्य के साथ बेईमानी करते हुए गलत तरीके से 36 राफले विमानों का अनुबंध देने के लिए दासॉल्ट एविएशन से 'अनुचित लाभ' प्राप्त किया।”
शिकायतकर्ताओं ने कहा, “यह अनुचित लाभ उनके करीबी सहयोगी और दोस्त अनिल अंबानी को प्राप्त हुआ। अपने आधिकार का दुरुपयोग और अपने कर्तव्य के साथ बेईमानी करके पीएम मोदी ने डील में ऑफसेट पार्टनर के रूप में अंबानी को चुनने के लिए दसॉल्ट एविएशन को मजबूर किया, जिससे अंबानी को अनुचित लाभ हासिल हुआ, हो रहा है और अगले 40 वर्षों तक उनको इसका लाभ मिलता रहेगा।”
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शिकायतकर्ताओं ने पीएम मोदी पर बेहद मंहगे दामों पर कुछ अतिरिक्त हथियार खरीदने की हामी भरकर अनुबंध के लिए वार्ता समिति के फैसले को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि प्रति विमान की कीमत 1000 करोड़ रुपए से अधिक बढ़ जाए, ताकि ऑफसेट में अंबानी को ज्यादा से ज्यादा लाभ हो सके।
भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 17 (A) में संशोधन का जिक्र करते हुए प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने कहा कि इस स्थिति से परिचित हैं कि सीबीआई को पीएम मोदी के खिलाफ मुकदमे की जांच करने के लिए उनसे ही अनुमति लेनी होगी। हालांकि, प्रशांत भूषण ने ये भी कहा कि एफआईआर दर्ज करने के लिए पूर्व स्वीकृति आवश्यक नहीं है।
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