अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा पर तनातनी के बीच रक्षा मंत्रालय ने आज बड़ा फैसला लिया है। रविवार को रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों के लिए 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल खरीदने की योजना को मंजूरी दी। इन मिसाइलकों को चीन सीमा पर तैनात किया जाएगा। पहली बार बैलिस्टिक मिसाइलों को सैन्य अभियानों में इस्तेमाल किया जाएगा। ये मिसाइलें 150 से 500 किलोमीटर के बीच दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकती हैं।
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आजतक के अनुसार, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि लगभग 120 प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल खरीदने के प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय बैठक में मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया कि मिसाइलों का अब बड़ी संख्या में उत्पादन किया जाएगा और निकट भविष्य में सामरिक अभियान में इनके शामिल होने की उम्मीद है। यह परियोजना सशस्त्र बलों के लिए रणनीतिक रॉकेट बल बनाने की सोच को बढ़ावा देगी, जो कि दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का सपना था।
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बैलिस्टिक मिसाइल 'प्रलय' का पिछले साल दिसंबर में लगातार दो दिनों में दो बार सफल परीक्षण किया गया था और तब से सेना इसके अधिग्रहण और इस सामरिक अभियान में शामिल करने की दिशा में काम कर रही है। यह बैलिस्टिक मिसाइल 150 से 500 किमी की सीमा के साथ 'ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीकों से लैस है। प्रलय सतह से सतह पर मार करने वाली अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल है।
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इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम होने के लिए इस मिसाइल को विकसित किया गया है। हवा में एक निश्चित दूरी तय करने के बाद इसमें अपना रास्ता बदलने की भी क्षमता है। प्रलय की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है। लेकिन टारगेट से 33 फीट के दायरे में गिरने पर भी यह मिसाइल उतना ही नुकसान करेगी। छोटी दूरी होने का फायदा ये है कि इससे सिर्फ वही इलाका नष्ट होगा, जितना बर्बाद करना है। इस मिसाइल की गति करीब 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है।
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अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो चीन के पास इसके स्तर की डोंगफेंग-12 मिसाइल है। वहीं, पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 और शाहीन ऐसी ही मिसाइल है। इनमें से गजनवी 320 केएम, एम-11 350 केएम और शाहीन 750 केएम रेंज की मिसाइलें हैं। कहा जा रहा है कि प्रलय मिसाइल में रात में भी हमला करने की तकनीक लगाई गई है, जिससे चीन के ठिकानों पर रात में भी हमला करना संभव है।
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