उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर 'एंटीलिया' के पास से विस्फोटकों से भरी एसयूवी बरामद होने और इसके मालिक मनसुख हिरेन की मौत के मामले में एनआईए ने खुलासा करते हुए कहा है कि इसके पीछे बर्खास्त किए गए पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा का हाथ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष यह दावा किया कि पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या का मास्टरमाइंड है।
पूरी साजिश के बारे में एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि अंबानी परिवार को आतंकित करने की साजिश रची गई थी और मनसुख हिरेन साजिश की 'कमजोर कड़ी' था, इसलिए उसकी हत्या करवा दी गई। जब 25 फरवरी, 2021 को एसयूवी की खोज की गई थी, तो हिरेन की हत्या की बात सामने आई थी और इस मामले ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।
शर्मा को 17 जून, 2021 को पकड़ा गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं। उनकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए एनआईए के हलफनामे में कहा गया है कि वह निर्दोष नहीं है और उसने आपराधिक साजिश, हत्या और आतंकी कृत्यों जैसे गंभीर अपराध किए हैं।
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न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर और न्यायमूर्ति जी. ए. सनप ने शर्मा की जमानत याचिका को - विशेष एनआईए अदालत द्वारा फरवरी 2022 में उनकी जमानत अर्जी को खारिज करने को चुनौती देते हुए - 17 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए रखा है। एनआईए ने कहा, "प्रदीप शर्मा एक गिरोह का सक्रिय सदस्य रहा है, जिसने अंबानी परिवार सहित लोगों को आतंकित करने की साजिश रची थी और हिरेन की हत्या कर दी थी, क्योंकि वह साजिश में एक कमजोर कड़ी था।" एजेंसी ने कहा कि शर्मा और अन्य आरोपियों पर जघन्य और गंभीर अपराधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं।
एनआईए के मुताबिक हिरेन को उस दिन एसयूवी को एंटीलिया के बाहर पार्क करने की पूरी साजिश के बारे में पता था और आरोपी (शर्मा और सह-साजिशकर्ता और बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे) को डर था कि वह (हिरेन) कहीं सच न सामने ला दे, इसलिए उसे मार डाला गया।
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एनआईए ने कहा कि एकत्र किए गए सबूतों से, यह स्पष्ट था कि शर्मा सीधे अपराध में शामिल था और साजिश, आतंकवादी कृत्य, एक आतंकवादी गिरोह का सदस्य होने, अपहरण, हत्या औरसबूतों को नष्ट करने के साथ कई अपराधों में लिप्त था। एनआईए ने कहा कि एकत्र किए गए सबूतों से यह स्पष्ट है कि प्रदीप शर्मा अपराध में सक्रिय रूप से शामिल था और उसने साजिश, आतंकी कृत्य, आंतकी गैंग का सदस्य बनने का, अपहरण, हत्या और सबूत नष्ट करने का अपराध किया है।
एनआईए ने यह भी दावा किया कि हिरेन की हत्या तब की गई थी, जब उसने एंटीलिया के बाहर की घटना का दोष लेने से इनकार कर दिया था। एनआईए ने अपने हलफनामे में कहा, "जब हिरेन ने अपराध के लिए दोष लेने से इनकार कर दिया, तो वाजे ने शर्मा और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर हिरेन को मारने की साजिश रची, ताकि वह यह न बताए कि वह वाजे ही था, जिसने एंटीलिया के बाहर वाहन (एसयूवी) खड़ा किया था।"
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एनआईए ने बताया कि हिरेन को मारने के बाद आरोपी (शर्मा-वाजे) ने इसे आत्महत्या के रूप में दिखाने का प्रयास किया। एजेंसी के अनुसार, चौंकाने वाली बात यह है कि शर्मा पुलिस आयुक्त परिसर में उन बैठकों में शामिल हुए थे, जहां कथित साजिश रची गई थी।
मुख्य साजिशकर्ता के रूप में, शर्मा ने वेज से मिले 45 लाख रुपये का भुगतान करके हिरेन को मारने के लिए गुर्गे को काम पर रखा और हत्या के बाद सह-आरोपियों को मुंबई से नेपाल भाग जाने के लिए कहा।
एनआईए ने तर्क दिया कि शर्मा एक 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' के रूप में प्रसिद्ध थे, प्रभावशाली थे और अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया, तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे और गवाहों को प्रभावित करेंगे।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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