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दिल्ली पुलिस की FIR में आरोप- प्रबीर पुरकायस्थ ने कोविड के खिलाफ सरकार के एक्शन को लेकर झूठ फैलाया

यह भी आरोप है कि उन्होंने घरेलू फार्मास्युटिकल उद्योग और राष्ट्र-विरोधी ताकतों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई भारत सरकार की नीतियों और विकास पहलों के बारे में भ्रामक और झूठी कहानी को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम किया है।

प्रबीर पुरकायस्थ पर कोविड के खिलाफ सरकार के एक्शन को लेकर झूठ फैलाने का आरोप
प्रबीर पुरकायस्थ पर कोविड के खिलाफ सरकार के एक्शन को लेकर झूठ फैलाने का आरोप फोटोः सोशल मीडिया

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ, अमेरिकी व्यवसायी नेविल रॉय सिंघम, इतिहासकार विजय प्रसाद और अन्य ने भारत सरकार के कोविड-19 को नियंत्रित करने के प्रयासों को बदनाम करने के लिए सक्रिय रूप से झूठी कहानियां प्रचारित कीं।

प्राथमिकी की प्रति आईएएनएस के पास उपलब्ध है, जिसमें कहा गया है, "इसके अलावा, उन्होंने घरेलू फार्मास्युटिकल उद्योग और राष्ट्र-विरोधी ताकतों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई भारत सरकार की नीतियों और विकास पहलों के बारे में भ्रामक और झूठी कहानी को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम किया है।"

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एफआईआर में आगे कहा गया है कि यह पता चला है कि पुरकायस्थ ने 2019 के आम चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) नामक एक समूह के साथ साजिश रची थी। इसमें कहा गया है, "इस समूह के प्रमुख व्यक्ति जो इस साजिश में शामिल थे, वे हैं बत्तीनी राव (संयोजक, पीएडीएस), दिलीप शिमोन, दीपक ढोलकिया, हर्ष कपूर, जमाल किदवई, किरण शाहीन, संजय कुमार, असित दास आदि।"

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दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को न्यूज़क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को आतंकवाद विरोधी कानून और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इससे पहले मंगलवार को सुबह से शाम तक न्यूजक्लिक के दफ्तर और उससे जुड़े कई पत्रकारों और लेखकों के घर पर स्पेशल सेल ने छापेमारी की और कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। देर शाम प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया गया था।

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 17 अगस्त को एक मामला दर्ज किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को बाधित करने के इरादे से भारतीय और विदेशी दोनों संस्थाओं द्वारा करोड़ों रुपये की विदेशी धनराशि अवैध रूप से भारत में भेजी गई थी।

यह मामला कथित तौर पर यूएपीए की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियां), 16 (आतंकवादी अधिनियम), धारा 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), धारा 18 (साजिश) और धारा 22 सी (कंपनियों द्वारा अपराध), तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है।

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