चीन में पिछले कुछ दिनों से जारी भयंकर बिजली संकट के कारण अब बीजिंग और शंघाई में ब्लैकआउट शुरू हो गया है, जहां 48 मिलियन लोग रहते हैं। देश में छाए भयंकर बिजली संकट ने प्रमुख कारखानों को प्रभावित किया है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
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स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ चाइना के बीजिंग कार्यालय ने कहा कि वह रविवार से चुनिंदा क्षेत्रों में बिजली की कटौती शुरू कर देगा। बिजली मुख्य रूप से एक बार में कुछ दिन घंटों के हिसाब से काटी जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया कि रोलिंग ब्लैकआउट से राजधानी बीजिंग के कम से कम चार जिले प्रभावित होंगे। इनमें जिचेंग और डोंगचेंग शामिल हैं, जहां कई सरकारी एजेंसियां और शीर्ष अधिकारियों के आवास हैं। वहीं चाओयांग में कई विदेशी रहते हैं और हैडन में कई तकनीकी कंपनियां स्थित हैं।
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स्टेट ग्रिड ने मंगलवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पावर कट का मुख्य उद्देश्य नियमित उपकरण रखरखाव और पावर ग्रिड में अपग्रेडेशन करना है। वर्तमान में, राजधानी में पावर ग्रिड में पर्याप्त, स्थिर और व्यवस्थित आपूर्ति है। फिलहाल प्रभावित घरों और व्यवसायों की सही संख्या का खुलासा नहीं किया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट ने बताया है कि ब्लैकआउट में लगभग 60 ग्रिड सेक्शन में कटौती होगी, जिससे 10,000 से अधिक लोग बिना बिजली के रह जाएंगे। बीजिंग की आबादी 22 मिलियन है।
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ये अनुसूचित ब्लैकआउट मुख्य रूप से निजी आवासों को प्रभावित करेंगे। इसी तरह रविवार को शंघाई में भी रोलिंग ब्लैकआउट का संचालन होगा, जहां 26 मिलियन लोगों का घर है। राष्ट्रीय बिजली की कमी ने एप्पल और टेस्ला के आपूर्तिकर्ताओं को शंघाई से सटे जिआंगसु प्रांत में परिचालन को निलंबित करने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, ग्वांगडोंग प्रांत में जापानी निर्माताओं द्वारा संचालित फैक्ट्रियां प्रभावित हुई हैं।
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बिजली की किल्लत का खामियाजा पूर्वोत्तर में चीन का रस्ट बेल्ट क्षेत्र भी उठा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लियाओनिंग प्रांत के एक शहर शेनयांग में ट्रैफिक सिग्नल ने काम करना बंद कर दिया है, जिससे भीड़भाड़ हो गई है। जिलिन प्रांत में, जिलिन सिटी की पानी की आपूर्ति बाधित हुई है और अधिकारियों ने नागरिकों से पानी का स्टॉक करने का आह्वान किया है।
बिजली की कमी का सबसे बड़ा कारण कोयला संयंत्रों में घटता परिचालन है। कोयले की कीमत एक साल पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है, जिससे कोयले से चलने वाले संयंत्रों को बिजली उत्पादन कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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