हालात

पोस्टर विवादः सुप्रीम कोर्ट से आर-पार के मूड में योगी, किरकिरी के बाद कदम को कानूनी बनाने के लिए लाया अध्यादेश

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से नुकसान की वसूली के लिए उनके पोस्टर शहर में लगाने पर पहले हाईकोर्ट के फैसले और फिर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से बैकफुट पर आई योगी सरकार ने आनन-फानन में एक अध्यादेश लाकर अपने कदम को कानूनी जामा पहना दिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश सरकार अब सीधे सुप्रीम कोर्ट से आर-पार के मूड में नजर आ रही है। प्रदेश की योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में कथित तौर पर हिंसा फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति के लिए उनके पोस्टर लगाने पर सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद अपने कदम को अब एक अध्यादेश के जरिये कानूनी जामा पहना दिया है। योगी सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को ‘उत्तर प्रदेश रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश-2020’ को मंजूरी दे दी।

सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान राजनीतिक जुलूस, अवैध हड़ताल आदि के दौरान होने वाले नुकसान आदि के मद्देनजर कड़े कानून की आवश्यकता जताई थी, जिसमें वीडियोग्राफी के साथ क्षतिपूर्ति की भरपाई की व्यवस्था की बात थी। खन्ना ने कहा कि हाल के मामलों में इस तरह के कानून की आवश्यकता महसूस करते हुए सरकार ने आज यूपी रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रापर्टी अध्यादेश को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी।

Published: undefined

उन्होंने बताया कि इस अध्यादेश में किसी आंदोलन, विरोध-प्रदर्शन, धरना आदि के दौरान सरकारी या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई किए जाने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि इस कानून को लागू करने की प्रक्रिया के बारे में जल्दी ही नियमावली भी बनाई जाएगी। खन्ना ने बताया कि नियमावली में नुकसान की भरपाई के लिए प्रक्रिया का उल्लेख होगा। जल्दी ही नियमावली भी कैबिनेट मंजूर करेगी।

Published: undefined

गौरतलब है कि बीते साल 19 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में दर्जनों गाड़ियां और एक पुलिस चौकी फींक दी गई थी। इस घटना के बाद सीएम योगी ने ऐलान किया था कि उपद्रवियों से नुकसान की वसूली की जाएगी। इसके बाद अचानक 5 मार्च को लखनऊ जिला प्रशासन की तरफ से हजरतगंज सहित प्रमुख चौराहों पर 57 लोगों को आरोपी बताते हुए उनकी तस्वीरों के साथ पोस्टर लगा दिया गया।

Published: undefined

इसके बाद पोस्टर के मामले ने तूल पकड़ लिया। जिसपर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 9 मार्च को मामले की सुनवाई की कहा कि बिना कानूनी उपबंध के वसूली के लिए पोस्टर लगाना जायज नहीं है। हाईकोर्ट ने इसे सीधे-सीधे निजता के अधिकार का हनन करार देते हुए पोस्टर हटाकर हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया। लेकिन इसके बाद योगी सरकार फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। लेकिन वहां भी योगी सरकार को राहत नहीं मिली और शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि आरोपियों के पोस्‍टर लगाने का अभी तक कोई कानून नहीं है। फिलहाल कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच के हवाले कर दिया है।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया