हरियाणा में बीते सालों में खनन माफिया और नेताओं के गठजोड़ ने राज्य को 5000 करोड़ के राजस्व का चूना लगाया है। विधानसभा में पेश कैग (सीएजी) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है। इस रिपोर्ट के पेश होने के बाद कांग्रेस ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और खनन माफिया के गठजोड़ का आरोप लगाया है। हरियाणा की कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और कांग्रेस कम्यूनिकेश सेल के प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस घोटाल की जांच हाईकोरट के किसी मौजूदा जज से कराने की मांग की है।
एक प्रेस कांफ्रेंस में सुरजेवाला ने सीएजी रिपोर्ट की जानकारी उजागर करते हुए बताया कि किस तरह सरकार के ही लेखाकारों ने हरियाणा के खनन और भूगर्भ विज्ञान विभाग द्वारा नियमों की अनदेखी कर कई परियोजनाओं में 1476 करोड़ का नुकसान राज्य को पहुंचाया है। वहीं कुमारी सैलजना ने आरोप लगाया कि, “इतना बड़ा घोटाला नेताओं, अफसरों और खनन माफिया के मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता।” कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यमुना नदी से रेत, बजरी और पत्थरों का अवैध खनन खट्टर सरकार की नाक के नीचे खुलेआम हो रहा है।
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सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि खट्टर सरकार ने किस तरह इस अवैध खनन से आंखें बंद रखीं और खनन ठेकेदारों से बकाया रकम की वसूली में लापरवाही बरती। इसके अलावा नदियों से बहुमूल्य खनिज निकालने की भी माफिया को खुली छूट दी गई। सीएजी रिपोर्ट ने कई सनसनीखेज खुलासे भी किए हैं। इनमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला यह है कि खनन माफिया ने नदियों का प्रवाह ही बदल दिया और खुलेआम उनके खनिजों की लूट होती रही। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस घोटाले को जना के सामने लाया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि सीएजी की रिपोर्ट मुताबिक खट्टर सरकार को यह तक नही मालूम कि कितनी खानों की नीलामी की गई थी और इनमें कितना खनिज था। राज्य में 95 खानें थी जिनमें से खनिज निकाला जा सकता है। सरकार के पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि ठेकेदारों ने कितने खनिज को ट्रांसपोर्ट कर दिया और उनके पास ट्रांसपोर्ट परमिट थे या नहीं।
इतना ही नहीं सकार ने खनन ठेकेदारों पर बकाया 1476.21 करोड़ रुपए की वसूली के लिए कोई कदम नहीं उठाया। इसके अलावा 69 ठेकेदारों से सरकार को मिलने वाली 1158.84 करोड़ रुपए की किश्त और उसके ब्याज की भी भरपाई नहीं की गई। साथ ही खान एवं खनिज पुनर्वास फंड केलिए ठेकेदारों से 66.74 करोड़ की भरपाई करवाना भी सरकार भूल गई।
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कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सीएजी ने राज्य की कुल 95 में से तीन खानों का खुद ही विशेष भौगोलिक सर्वे किया। गुमथला उत्तर खनन ब्लॉक के सर्वे में साबित हुआ कि ठेकेदार उसे मिले क्षेत्र से दोगुने से ज्यादा इलाके से खनन कर रहा है। सीएजी ने इसे 204 फीसदी बताया है। जाहिर है कि इससे ठेकेदार ने नियत 20.34 लाख टन खनिज के बजाए 44.22 लाख टन खनिज निकाल लिया। इस तरह देखें तो सरकार को 110 फीसदी राजस्व का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैध खनन गतिविधियों के कारण नदी का प्रवाह तक बदल दिया गया, किनारों की सीमा रेखा को हटा दिया गया। यहां तक कि नदी के जलभराव वाले तट पर पुल तक बना लिया गया। रेत माफिया ने नदी का बहाव रोकने के लिए एक बांध तक बना लिया।
सीएजी रिपोर्ट कहती है कि हरियाणा में अवैध खनन बिना नीलामा के खुलेआम हो रहा है। सीएजी रिपोर्ट में यमुनानगर के नागली ब्लॉक की सैटेलाइट तस्वीरों से इस खनन को साबित किया गया है। सीएजी रिपोर्ट ने कहा है कि खट्टर सरकार सभी खनन क्षेत्रों में हुए अवैध खनन के बारे में तथ्य जुटाए और इस सबकी जांच कराए। ध्यान रहे कि इस मामले में खट्टर सरकार ने पहली अप्रैल 2018 से नवंबर 2019 तक कोई कार्यवाही नहीं की है, इससे जाहिर है कि दाल में कुछ काला है।
एक नुमान के अनुसार 96 खान क्षेत्रों से सरकार को हर साल कम से कम 2133 करोड़ रुपए का राजस्व मिलना चाहिए, लेकिन सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि इस राजस्व को चुकाए बिना ही ठेकेदार खानों और नदियों का दोहन कर रहे हैं इससे हरियाणा को करीब 5000 करोड़ का चूना लगा है।
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