बेंग्लुरु पुलिस कर्नाटक में बीजेपी की चुनावी रणनीति देखने वाली फर्म वराहे एनालिटिक्स से जुड़े शशांक भारद्वाज नाम के पुलिस की तलाश कर रही है। उस पर आरोप है कि इस साल फरवरी में उसने कर्नाटक कांग्रेस की वेबसाइट है की थी। फरवरी से फरार भारद्वाज पर यह भी आरोप है कि उसने कांग्रेस की वेबसाइट हैक करने के लिए हासन स्थित मैसर्स वेट फैब टेक्नालॉजीस नाम की फर्म को भुगतान किया था और एक फर्जी वेबसाइट बनाकर विधानसभा के चुनावों की दौड़ में आगे चल रही कांग्रस को निशाना बनाया था।
हालांकि इस मामले में एफआईआर फरवरी में ही दर्ज हो गई थी और मई में बीजेपी चुनाव भी हार गई। इसके बाद इसी सप्ताह बेंग्लुरु पुलिस ने इस कंपनी के डायरेक्टर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था जिन्होंने फर्जी वेबसाइट बनाकर कांग्रेस को बदनाम करने वाली और भ्रामक सामग्री पोस्ट की थी। वराहे एनालिटिक्स को बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव में अपनी प्रचार रणनीति बनाने के लिए अधिकृत किया था।
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कर्नाटक पुलिस ने शनिवार को जारी एक प्रेस नोट में हासन से गिरफ्तार तीन लोगों के नाम बताए हैं। इनमें धर्नेश जैन, सिद्धार्थ और वेंकटेश के नाम शामिल हैं जो इस कंपनी के कर्मचारी हैं। पुलिस ने दावा किया कि इन तीनों के तीन मोबाइल फोन, लैपटॉप, क्रेडिट कार्ड और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए हैं। पुलिस ने दावा किया है कि इनके व्हाट्सऐप चैट से भी आपत्तिजनक सामग्री रिकवर की गई है।
हुआ यह था कि फरवरी में एक दिन अचानक कर्नाटक कांग्रेस की अधिकारि वेबसाइट www.inckarnataka.in गायब हो गई। इसे खोलने पर संदेश आने लगा कि ‘यह अकाउंड सस्पेंड कर दिया गया है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए होस्ट प्रोवाइडर से संपर्क करें।’ दरअसल हैकर ने वेबसाइट के डोमेन सर्वर आई डी में सेंध लगा दी थी और इसे सस्पेंड कर दिया था। बीते 24 घंटों के दौरान वेबसाइट पर यह तीसरा हमला था।
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इसके साथ ही एक नई फर्जी वेबसाइट www.kpcc.in तैयार कर दी गई जिसमें कांग्रेस नेताओं के फोटो आदि लगे हुए थे। इस वेबसाइट को असली वेबसाइट की ही तरह बनाया गया था, लेकिन इसमें पार्टी को बेहद सांप्रदायिक, आपराधिक और भ्रष्ट बताया गया था। बेंग्लुरु पुलिस कमिश्नर को दी गई अपनी लिखित शिकायत में कर्नाटक कांग्रेस के कम्यूनिकेशन सेल के प्रभारी प्रियांक खड़गे ने कहा था कि वेबसाइट के जरिए कांग्रेस नेताओं और पार्टी को बदनाम किया गया।
फर्जी वेबसाइट पर मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के फर्जी हस्ताक्षर से एक पत्र भी प्रकाशित किया गया। इस पत्र को सोनिया गांधी को संबोधित किया गया था और कन्नड़ में लिखा गया था। इसके लिए कांग्रेस के अधिकारिक लेटरहेड जैसे पन्ने का इस्तेमाल किया गया था। पत्र में सोनिया गांधी से आग्रह किया गया था कि वे इस वेबसाइट पर जाकर कर्नाटक कांग्रेस में जारी अंतरकलह को बारे में जानें।
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