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पीएनबी महाघोटाला: दूसरे बैंकों में भी फर्जीवाड़े की आशंका, कई ज्वैलरी फर्म भी शक के घेरे में

पंजाब नेशनल बैंक में हुए महाघोटाले का असर दूसरी बैंकों पर भी पड़ सकता है। पीएनबी ने दूसरे बैंकों को पत्र भेजकर सचेत रहने को कहा है। साथ ही इस मामले में कुछ ज्वैलरी फर्म भी शक के घेरे में हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया पीएनबी घोटाले का असर दूसरे बैंकों पर भी पड़ने की आशंका

देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी में 11,500 करोड़ का महाघोटाला सामने आने के बाद पूरे बैंकिंग क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है। इस घोटाले के बाद पीएनबी के शेयर दो दिन में 17 फीसदी तक नीचे गिरे हैं। वहीं जांच एजेंसियां भी एक्शन में हैं।

पीएनबी मामले में अरबपति ज्वैलर और हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर शिकंजा कसना शुरु हो गया है। नीरव मोदी ने फर्जीवाड़ा कर पीएनबी के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से पीएनबी से एलओयू यानी लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग हासिल किया। एलओयू को आम भाषा में बैंक गारंटी कहते हैं। इसी गारंटी के आधार पर नीरव मोदी और उसके साथियों ने विदेशों में बैंक से कर्ज लिया, जिसकी देनदारी पीएनबी पर आती है। पीएनबी ने मामले का खुलासा होने पर अपने दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही मामले को जांच के लिए सीबीआई के पास भेज दिया है।

पीएनबी ने 11,500 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की चपेट में आने के बाद दूसरे बैंकों को इस तौर-तरीके को लेकर चेताया है। पीएनबी की तरफ से दूसरे बैंकों को सावधान करते हुए पीएनबी ने लिखा है कि, ‘‘शुरुआती जांच से यह पता चला है कि मुंबई में हमारी शाखाओं के कर्मचारियों के साथ सांठगांठ करके साजिशकर्ताओं ने संदिग्ध फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया।’’ पत्र के मुताबिक यह पाया गया कि संबंधित कंपनियां शाखा में सिर्फ चालू खाता चला रही थीं और किसी भी लेनदेन को केंद्रीय बैंकिंग व्यवस्था के जरिए नहीं किया गया।

न्यूज एजेंसियों के मुताबिक वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने इसे अकेला मामला बताते हुए कहा है कि इससे दूसरे बैंको पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन पीएनबी ने एक बयान में कहा है कि धोखाधड़ी से हुए लेनदेन के आधार पर अन्य बैंकों ने संभवत: कुछ ग्राहकों को विदेशों में कर्ज दिया है। पीएनबी ने हालांकि दूसरे बैंकों का नाम नहीं लिया, लेकिन समझा जाता है कि इसमें यूनियन बैंक आफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक हो सकते हैं, जिन्होंने पीएनबी की गारंटी के आधार पर नीरव मोदी की फर्म को कर्ज दिया।

इसके अलावा कुछ विदेशी बैंकों की शाखाएं भी इस घोटाले की जांच के घेरे में हैं। साथ ही कुछ बड़ी आभूषण कंपनियां भी जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गई हैं। लेकिन किसी भी आभूषण कंपनी ने अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की है।

गौरतलब है कि पीएनबी ने पिछले सप्ताह सीबीआई के पास एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि 16 जनवरी को सबसे पहले करीब 281 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी वाले गारंटी पत्र जारी किए गए। उस समय बैंक ने कहा था कि वह रिकॉर्डों की जांच कर रहा है, जिससे पता चल सके कि घोटाला कितना बड़ा है। अपनी शिकायत में पीएनबी ने तीन हीरा कंपनियों डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स का नाम लिया था। शिकायत में कहा गया था कि उन्होंने 16 जनवरी को बैंक से विदेशी सप्लायर को भुगतान के लिए बायर कर्ज के लिए संपर्क किया था।

जानकारी के मुताबिक बैंक ने जब एलओयू यानी गारंटी के तौर पर मार्जिन कैश जमा कराने को कहा था तो इन कंपनियों ने विरोध करते हुए कहा था कि उन्हें यह सुविधा पिछले कई वर्षों से मिल रही है। जिन कंपनियों का नाम पीएनबी ने लिया है, उनमें नीरव मोदी, उनकी पत्नी एमी और भाई निशाल और मेहुल चौकसी डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स तथा स्टेलर डायमंड्स में भागीदार हैं। इन कंपनियों की हांगकांग, दुबई और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में ब्रांच हैं।

इस महाघोटाल में पीएनबी के जिन अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, उनमें बैंक के डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी भी शामिल हैं। शेट्टी 31 मार्च 2010 से पीएनबी के मुंबई में फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट में काम कर रहे थे। कहा जाता है कि शेट्टी ने बैंक के एक दूसरे अधिकारी मनोज खारत के साथ मिलकर ये धोखाधड़ी वाले एलओयू जारी किए।

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