पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में कहा कि चीन ने भारत की 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर अनिधिकृत कब्जा कर रखा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) स्पष्ट रूप से चित्रित नहीं है और चीन भारत की सीमा से लगे लगभग 90 हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन को भी अपनी बताता है।
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रक्षा मंत्री सिंह ने चीन की एक-एक नापाक करतूतों की जानकारी सदन को दी। उन्होंने कहा कि चीन ने मई और जून में यथास्थिति को बदलने की कोशिश की, मगर भारतीय सेना ने उसके प्रयासों को विफल कर दिया। राजनाथ ने कहा, "हमने चीन से कहा है कि ऐसी घटनाएं हमें स्वीकार्य नहीं होंगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किमी के अवैध कब्जे में है। इसके अलावा, 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान 'सीमा समझौते' के तहत पाकिस्तान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 5,180 वर्ग किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी। उन्होंने कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र का दावा किया है।
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सदन में भारत-चीन गतिरोध के बीच राजनाथ सिंह के इस बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा है। इस बार राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान का हवाला देते हुए केंद्र को घेरा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर रहा है कि "रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान से साफ है कि मोदी जी ने देश को चीनी अतिक्रमण पर गुमराह किया। राहुल गांधी ने आगे कहा कि हमारा देश हमेशा से भारतीय सेना के साथ खड़ा था, है और रहेगा। लेकिन मोदी जी, आप कब चीन के ख़िलाफ़ खड़े होंगे? चीन से हमारे देश की ज़मीन कब वापस लेंगे? चीन का नाम लेने से डरो मत।
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दरअसल, विपक्ष चीन के साथ चल रहे तनाव पर लगातार सरकार से बयान की मांग कर रहा था। इसके बाद राजनाथ ने मंगलवार को जवाब देते हुए कहा कि सीमा पर भारतीय जवान पूरी सर्तकता के साथ तैयार हैं। राजनाथ ने चीन को बातचीत का प्रस्ताव देते हुए कहा कि अगर ड्रैगन सीमा पर कोई हरकत करेगा तो हमारे जवान उसे माकूल जवाब भी देंगे। राजनाथ ने कहा कि सेना के लिए विशेष अस्त्र-शस्त्र और गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उनके रहने के तमाम बेहतर सुविधाएं दी गई हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं। यह समय है कि यह सदन अपने जवानों को वीरता का एहसास दिलाते हुए उन्हें संदेश भेजे कि पूरा सदन उनके साथ खड़ा है।
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राजनाथ ने तनाव खत्म करने के लिए समाधान निकाले जाने पर भी जोर दिया। राजनाथ ने कहा, "हम सीमाई इलाकों में मुद्दों का हल शांतिपूर्ण तरीके से किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हमने चीनी रक्षा मंत्री से रूस में मुलाकात की। हमने कहा कि इस मुद्दे का शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहते हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। 10 सितंबर को एस. जयशंकर को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि अगर चीन पूरी तरह से समझौते को माने तो विवादित इलाके से सेना को हटाया जा सकता है।" रक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतीपूर्ण दौर में सैन्य बल और आईटीबीपी की तुरंत तैनाती की गई है। सरकार ने सीमा के विकास को प्राथमिकता दी है। हमारी सरकार ने सीमा के विकास के लिए काफी बजट बढ़ाया है। सीमाई इलाके में काफी रोड और ब्रिज बने हैं और सैन्य बलों को बेहतर समर्थन भी मिला है।
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राजनाथ ने सदन को बताया कि "अभी की स्थिति के अनुसार, चीन ने एलएसी के अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक और गोला बारूद जमा कर रखे हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने पूरी काउंटर तैनाती कर रखी है। सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेना इस चुनौती का सफलतापूर्वक सामना करेगी।" उन्होंने कहा, "पूर्वी लद्दाख और गोगरा, कोंगका ला और पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर तनाव वाले कई इलाके हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी सेना ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त काउंटर तैनाती की है, ताकि भारत के सुरक्षा हित पूरी तरह सुरक्षित रहें। अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें संवेदनशील ऑपरेशन मुद्दे शामिल हैं। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहूंगा।"
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रक्षा मंत्री ने कहा, "अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेनाओं की संख्या तथा उनके हथियारों में इजाफा देखा गया। मई महीने के प्रारंभ में चीन ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारे सैनिकों के परंपरागत पैट्रोलिंग पैटर्न में रुकावट डाली, जिससे आमने-सामने की स्थिति पैदा हुई। हमने चीन को राजनयिक तथा मिल्रिटी चैनल्स के माध्यम से यह अवगत करा दिया कि इस प्रकार की गतिविधियां यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि यह प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।"
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रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी तक भारत और चीन के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में आमतौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा का परिसीमन नहीं हुआ है और पूरी एलएसी की कोई आम धारणा नहीं है। इसलिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों ने कई समझौतों और प्रोटोकॉल का सहारा लिया है। उन्होंने कहा कि इन समझौतों के तहत दोनों पक्ष एलएसी के पास वाले क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि 1993 और 1996 दोनों समझौतों का एक प्रमुख उद्देश्य यह है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ क्षेत्रों में अपने सैन्य बलों को न्यूनतम स्तर पर रखेंगे।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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