लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और फिर मुरली मनोहर जोशी से मिलने पहुंचे। दोनों नेताओं के साथ मुलाकात का दौर काफी देर तक चला। करीब आधे घंटे तक दोनों नेताओं के साथ मुलाकात हुई, लेकिन इस मुलाकात के बाद सवाल उठने लगे है कि पीएम मोदी जोशी और आडवाणी से गले तो मिले लेकिन क्या उनका दिल मिला?
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद मुरली मनहोर जोशी ने मीडिया से बातचीत की। लेकिन इस दौरान उनके बयान से कही भी खुशी नहीं दिखाई दी। मीडिया से बात करते हुए जोशी ने कहा, “हम लोगों ने पार्टी बनाई थी, बीज लगाया था और एक अच्छा पेड़ भी पैदा किया था। अब ये फलदायी पेड़ को इन्होंने यहां तक पहुंचाया है जो फल देगा। इसके फल सारे देश को अच्छे से मिले इसकी जिम्मेदारी आप (मोदी-शाह) पर बढ़ गई है।”
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
इस दौरान एक पत्रकार ने पूछा कि सक्रिय राजनीति में जोशी की क्या भूमिका रहेगी इसपर बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं जो आजतक करता रहा हूं वही करता रहूंगा और पार्टी क्या करना चाहती है वह पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री जानें।”
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इन बयानों पर गौर फरमाए तो साफ पता चलता है कि मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्ण आडवाणी से जैसे नेताओं ने पार्टी बनाई, पार्टी के रुप में बीज लगाई और पेड़ भी उगाया। लेकिन जब यह पेड़ फलदायी हुआ तो इसका कमान शाह और मोदी ने संभाल ली। दूसरा एक और बयान दिया जिसमें साफ पता चल रहा है कि पार्टी के अंदर उनकी भूमिका कुछ भी नहीं रहेगी।
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
हालांकि मुरली मनोहर जोशी की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी बेहद विद्वान हैं। भारतीय शिक्षा को और बेहतर बनाने में उनका अहम योगदान है। उन्होंने हमेशा पार्टी की मजबूती के लिए काम किया और मेरे जैसे कई कार्यकर्ताओं को इनका मार्गदर्शन मिला है। पीएम मोदी का जोशी से मुलाकात के बाद उनका तारीफ करना लाजिमी था क्योंकि वे संदेश देना चाहते हैं कि वे पार्टी में सभी को एक साथ लेकर चलना चाहते हैं।
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि क्योंकि बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में टिकट काट दिया था। जोशी ने बकायादा पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इससे पहले 2014 आम चुनाव के बाद आडवाणी और जोशी पार्टी में दरकिनार कर दिए गए थे। बीजेपी ने अपने दोनों नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया था।
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
इस बार पार्टी ने लालकृष्ण आडवाणी की जगह गांधीनगर से अमित शाह को टिकट दिया है। यह सीट 1991 से लालकृष्ण आडवाणी के नाम रही थी। वहीं मुरली मनोहर जोशी पर बीजेपी के संगठन महासचिव राम लाल द्वारा चुनाव नहीं लड़ने का दबाव बनाया गया था। पार्टी के अंदर अनदेखी और टिकट नहीं मिलने से नाराज लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का कई बार दर्द छलका था और मोदी के नेतृत्व पर भी सवाल उठाया था।
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
लोकसभा चुनाव से पहले लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र की खुशबू विविधता और अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करना है। बीजेपी ने हमसे राजनीतिक असहमति रखने वालों को कभी भी अपना शत्रु नहीं माना, बल्कि उन्हें सिर्फ अपना प्रतिद्वंद्वी माना। आडवाणी ने कहा था कि इसी तरह हमारी भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा में हमने उन लोगों को राष्ट्र-विरोधी कभी नहीं माना, जो हमसे राजनीतिक रूप से असहमत थे। इस टिप्पणी को मोदी के नेतृत्व को आडवाणी की तरफ से एक संदेश के रूप में देखा गया, जो पाकिस्तान के बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों पर राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम करने का आरोप लगाता आ रहा है।
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
वहीं दूसरी ओर बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के मतदाताओं के नाम एक लिखित संदेश जारी किया था। उन्होंने संदेश में लिखा था कि इस बार उन्हें कानपुर या किसी भी सीट से प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री द्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह नहीं चाहते हैं कि वह फिर से चुनाव में खड़े हों।
Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST
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Published: 24 May 2019, 1:12 PM IST