किसान आंदोलन के बीच एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लाग गए कृषि कानूनों की वकालत की है। मध्य प्रदेश के किसानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि ये कानून रातोंरात नहीं आए हैं। पीएम ने कहा कि इन कानूनों को लेकर 20 से 25 साल से चर्चा हो रही थी।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि, “मैं सभी राजनीतिक दलों से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि कृपया सारा श्रेय अपने पास रखें। मैं आपके सभी पुराने चुनाव घोषणापत्रों को श्रेय दे रहा हूं। मैं किसानों के जीवन में आसानी चाहता हूं, मैं उनकी प्रगति चाहता हूं और कृषि में आधुनिकता चाहता हूं।”
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पीएम मोदी ने आगे कहा, “किसानों को उन लोगों से जवाब मांगना चाहिए जो पहले अपने घोषणापत्रों में इन सुधारों की बात लिखते थे, बड़ी-बड़ी बातें करके किसानों के वोट बटोरते रहे। लेकिन अपने घोषणा पत्र में लिखे वादों को भी पूरा नहीं किया। सिर्फ इन मांगों को टालते रहे क्योंकि किसान उनकी प्राथमिकता नहीं था।”
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने एमएसपी का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि अगर हमें एमएसपी हटानी ही होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू ही क्यों करते? हमारी सरकार एमएसपी को लेकर इतनी गंभीर है कि हर बार, बुवाई से पहले एमएसपी की घोषणा करती है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में एमएसपी का तो जिक्र किया, लेकिन उन्होंने एमएसपी को लेकर किसानों की असल मांगों का जिक्र नहीं किया।
दरअसल किसानों की मांग है कि हमें एमएसी पर सिफ आश्वासन नहीं चाहिए। किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी पर लीगल गारंटी दे। किसानों के कहने का मतलब साफ है, कि वह सरकार से एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इसका जिक्र नहीं किया।
पीएम मोदी ने कहा कि अगर अब भी किसी को आशंका है, तो हम सिर झुकाकर-हाथ जोड़कर हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं। देश का किसान, किसानों का हित हमारे लिए सर्वोच्च है. पीएम मोदी ने कहा कि 25 दिसंबर को एक बार फिर मैं देश के किसानों से बात करूंगा।
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