मोदी ने यह दावा भी किया कि राजीव गांधी के साथ इस पिकनिक पर इटली से आए उनके ससुराल के लोग भी थे, और इस दौरान नौसेना के स्टाफ को उनकी आवभगत के लिए इस्तेमाल किया गया।
लेकिन 1987 के अगस्त से लक्ष्यद्वीप के प्रशासक रहे वजाहत हबीबुल्लाह इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बकवास करार देते हैं। गौरतलब है कि लक्ष्यदीप का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक प्रशासक देखता है।
Published: 09 May 2019, 3:27 PM IST
वजाहत हबीबुल्लाह ने बताया कि, “मैं 1987 में लक्ष्यद्वीप का प्रशासक था। जहां तक मुझे याद है पीएम मोदी जिस बारे में बात कर रहे हैं वह दिसंबर 1987 की है। प्रशासक होने के नाते मुझे द्वीप विकास प्राधिकरण की एक बैठक कावारत्ती में आयोजित करनी थी। कावारत्ती लक्ष्यद्वीप का ही एक छोटा द्वीप है। इस प्राधिकरण की इससे पहले वाली बैठक अंडमान और निकोबार में हुई थी, जिसके बाद यह बैठक कावारत्ती में होनी थी।”
वजाहत हबीबुल्लाह ने बताया कि, “अपने दौरे में प्रधानमंत्री ने आइलैंड डिवेलपमेंट काउंसिल का भी उद्घाटन किया था। इसके बाद परिषद ने केंद्रीय कैबिनेट के साथ बैठक की ती। इस बैठक में आइलैंड पर पंचायती राज स्थापित करने पर चर्चा हुई थी। इस बैठक के लिए पूरी केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य आए थे, जिनमें पी वी नरसिम्हा राव भी थे। चूंकि सारे मंत्री और प्रधानमंत्री भी यहां थे, इसलिए आईएनएस विराट को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से नजदीक ही रखा गया था।” हबीबुल्लाह कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं को दोहराना सही नहीं है।
Published: 09 May 2019, 3:27 PM IST
वजाहत हबीबुल्लाह ने एक और अहम बात बताई। उन्होंने कहा कि “मुझे प्रशासक के तौर पर बताया गया कि आईएनएस विराट लक्ष्यद्वीप के नजदीक ही है, लेकिन इस पर कोई भी नहीं गया था।“ उन्होंने पूछा कि जब पूरी कैबिनेट वहां मौजूद थी तो क्या उनकी सुरक्षा के लिए इंतज़ाम नहीं किए जाने चाहिए थे।
Published: 09 May 2019, 3:27 PM IST
उन्होंने बताया कि काउंसिल की बैठक के बाद राजीव गांधी ने दो-एक दिन लक्ष्यद्वीप में ही रुकने का मन बनाया। उन्होंने परिवार के साथ वहां छुट्टी मनाने की बात कही। परिषद के बैठक के बाद राजीव गांधी, सोनिया गांधी, सोनिया गांधी की बहन और उनका पति, अमिताभ बच्चन और जया बच्चन के अलावा कुछ और दोस्त लक्ष्यद्वीप आए। इनमें से कोई भी कारावत्ती नहीं गया। ये सारे लोग हैलीकॉप्टर द्वारा कोच्चि से बंगाराम गए और वहां गेस्ट हाउस में ठहरे।“ वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि, “अगर उन्हें कोई शक है तो अमिताभ बच्चन से पूछ सकते हैं।”
Published: 09 May 2019, 3:27 PM IST
गौरतलब है कि राजीव गांधी ने फरवरी 1987 में पवन हंस लिमिटेड नाम की हैलीकॉप्टर कंपनी शुरु कराई थी। इन्हीं हैलीकॉप्टरों को आइलैंड आने जाने वाले यात्रियों के लिए फीडर सर्विस के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। वजाहत हबीबुल्लाह ने बताया, “जो भी इन हैलीकॉप्टर की सेवाएं लेता था, उसे इसका भुगतान करना होता था। राजीव गांधी के इस्तेमाल में आए किसी भी हेलीकॉप्टर का भुगतान प्रशासन ने नहीं किया था और न ही हमें राजीव गांधी के बांगाराम में गेस्ट हाउस में ठहरने का कोई बिल मिला था। राजीव गांधी ने सारा बिल खुद ही चुकाया था।”
हबीबुल्लाह कहते हैं कि, “इस तरह के दावे कर प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं। वे जो तारीखें बता रहे हैं वह गलत हैं। मैं तो वहां का प्रशासक था। पीएम चाहें तो वहां के रिकॉर्ड चेक कर सकते हैं।”
Published: 09 May 2019, 3:27 PM IST
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Published: 09 May 2019, 3:27 PM IST