दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स फंड को स्टेट फंड घोषित करने की मांग वाली याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को एक बार फिर और समय दे दिया। मामले की अगली सुनवाई अब अगले साल 31 जनवरी को होगी।
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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार से इस मामले में विस्तृत जवाब मांगते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके लिए उचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। पिछली सुनवाई में भी अदालत ने पीएमओ सचिव द्वारा दायर एक पेज के हलफनामे के जवाब के बाद केंद्र से विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा था।
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हाईकोर्ट सम्यक गंगवाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई थी कि पीएम केयर्स फंड संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत स्टेट है। वहीं केंद्र के पहले के सबमिशन के अनुसार, पीएम केयर्स फंड आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के दायरे में एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है।
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इसके साथ ही केंद्र ने यह भी स्पष्ट कहा था कि कोई भी सरकारी पैसा पीएम केयर्स फंड में जमा नहीं किया जाता है और इसमें केवल बिना शर्त और स्वैच्छिक योगदान स्वीकार किए जाते हैं।
पीएमओ द्वारा दायर एक पूर्व हलफनामे में कहा गया है कि "यह दोहराया जाता है कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और यह राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है।"
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