सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले की 22वीं बरसी के दिन संसद की सुरक्षा में सेंधमारी कर लोकसभा के अंदर हंगामा करने और रंगीन धुआं फैलाने के साथ बाहर परिसर में भी नारेबाजी कर धुंआ फैलाने की घटना की जांच शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराने की मांग की गई है।
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पश्चिम बंगाल के रहने वाले वकील अबू सोहेल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि छह लोगों द्वारा संसद की सुरक्षा में की गई सेंधमारी एक सुनियोजित घटना थी। यह पूरी तरह से सुरक्षा में चूक थी। धुआं जहरीला हो सकता था। यह समूचे देश को स्तब्ध कर देने वाली घटना थी।
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जनहित याचिका में कहा गया है कि जब देश का सर्वोच्च सदन (संसद), जहां देश का भविष्य तय होता है, खतरे में है तो इसका मतलब देश के नागरिक खतरे में हैं। इसलिए इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की दरकार है। भारत भी खतरे में है, जिसके परिणामस्वरूप न्यायिक हस्तक्षेप जरूरी है।
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याचिका में आगे कहा गया है कि अगर भारत में सर्वोच्च सदन की सुरक्षा पर्याप्त नहीं है, तो नागरिकों का जीवन और संपत्ति भी खतरे में है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की देखरेख में घटना की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष न्यायिक जांच का आदेश पारित करने की प्रार्थना की गई है।
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