पूर्व गृह राज्यमंत्री, विश्व हिंदू परिषद मार्ग दर्शक मंडल के सक्रिय सदस्य, परमार्थ और मुमुक्ष आश्रमों के परमाध्यक्ष और राम मंदिर आंदोलन के अगुवा चिन्मयानंद अपने ही शिक्षण संस्थान की अपने से आधी उम्र की छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में जेल में बंद हैं। उन्हें अपने कर्म की जो सजा मिलनी है, वह तो, उम्मीद करनी चाहिए, मिलेगी ही। कहते हैं, गलत कामों का ऊपर वाला ठीक से और पूरा दंड देता है। संभवतः इसीलिए चिन्मयानंद के संगी-साथी, सहयोगी और गुरु भाई अभी से ही उनके एकाधिकार वाली अरबों की धार्मिक संपत्ति पर कब्जे की साजिश रच रहे हैं।
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चिन्मयानंद के हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, शाहजहांपुर समेत पूरे देश में आश्रम हैं। इनकी कीमत अरबों में है। इनके लिए अलग-अलग धार्मिक-सामाजिक ट्रस्ट हैं लेकिन कुल मिलाकर चिन्मयानंद ही सबके स्वामी हैं। इनमें हरिद्वार-ऋषिकेश में अलग- अलग धार्मिक और कृषि संपदा, हरिद्वार में तीन दर्जन से अधिक दुकानें, दो आश्रम, गंगा किनारे स्नान घाट और आश्रम, खेती की जमीन और हेलीपैड, बद्रीनाथ में बद्रीनाथ मंदिर के नजदीक 50 से अधिक कमरों वाला आश्रम, बनारस सहित देश के विभिन्न इलाकों में स्थापित अन्य धार्मिक संपत्तियां शामिल हैं।
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अकेले शाहजहांपुर में ही 2 अरब से ज्यादा की संपत्ति है। यहां कई एकड़ में फैला मुमुक्ष आश्रम और शिक्षण संस्थान हैं। इनकी सिर्फ इमारत ही करीब सौ करोड़ की है। कोशिश है कि चिन्मयानंद के जेल से बाहर आने या उन्हें जमानत मिलने से पहले ही इस पर कब्जा कर लिया जाए। वैसे, चिन्मयानंद को इस तरह की आशंका पहले से खुद भी थी।
छात्रा के आरोपों के बाद जब वह हरिद्वार आए, तब ही उन्होंने बताया था कि उनके एक गुरु भाई ने उनकी गैमौजूदगी का लाभ उठा ट्रस्ट की बोर्ड बैठक में उन्हें ट्रस्ट से बाहर निकालने का न सिर्फ मसौदा पेश किया था बल्कि अपने राजनीतिक रसूख का प्रमुख ट्रस्टियों पर दबाव डाल उन्हें इसके लिए तकरीबन तैयार भी कर लिया था।
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चिन्मयानंद जेल गए हैं, तब से ही उन्हें संत समाज से बाहर निकालने की कोशिशें भी चल रही हैं। उनके अपने अखाड़े- महानिर्वाणी, के इलाहाबाद के सचिव ने तो इसकी घोषणा तक कर दी, हालांकि अखाड़े का राष्ट्रीय नेतृत्व फिलहाल इस पर चुप्पी साधे हुए है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में भी इस पर घमासान मचा हुआ है। इलाहाबाद से ताल्लुक रखने वाले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि 10 अक्टूबर को हरिद्वार में प्रस्तावित परिषद की बैठक में चिन्मयानंद को संत समाज से बाहर करने की पैरवी कर रहे हैं। लेकिन परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि का कहना है कि जब तक अदालत में यह मामला लंबित है, तब तक परिषद को फैसला लेने या हस्तक्षेप करने का कोई हक नहीं। उन्होंने 10 अक्टूबर की बैठक में इस बात पर चर्चा कराने तक से इनकार कर दिया है।
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उधर, भारत साधु समाज भी दो हिस्सों में बंट गया है। इसके राष्ट्रीय संरक्षक ज्योतिष और द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती हैं जबकि चिन्मयानंद राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री। चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद और अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी की अगुवाई वाला हिस्सा चिन्मयानंद के साथ है जबकि दूसरा चिन्मयानंद पर अपनी करतूतों से संत समाज को कलंकित करने का आरोप लगा कार्रवाई की मांग कर रहा है।
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