अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से ही कश्मीर के अलगाववादी संगठनों से जुड़े लोगों के साथ ही मुख्यधारा की पार्टियों के नेताओं, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है या नजरबंद कर दिया गया है। इनमें से ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता अब भी नजरबंद हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे करके कुछ लोगों को रिहा किया जा रहा है। लेकिन ये रिहाई पूरी तरह से नहीं है, उन्हें अब भी सरकार के हिसाब से रहना होगा। इसके लिए जिन लोगों को भी रिहा किया जा रहा है, उनसे एक बॉन्ड पर दस्तखत कराया जा रहा, जिसमें लिखा गया है कि वे एक साल तक अनुच्छेद 370 पर अपना मुंह नहीं खोलेंगे।
Published: 21 Oct 2019, 10:17 PM IST
खबर के अनुसार रिहा किए जा रहे कश्मीरी नागरिकों से सरकार यह लिखवा रही है कि वह इस बात की गारंटी देता है कि वह जम्मू-कश्मीर से संबंधित ताजा घटनाक्रम को लेकर या उससे संबंधित न तो किसी तरह की कहीं कोई बात कहेगा या ना ही किसी तरह की सभा में कोई बयान या भाषण देगा। बॉन्ड पेपर में कहा गया है कि इस दौरान वह शख्स कोई सार्वजनिक सभा भी नहीं करेगा, जिसमें राज्य के किसी हिस्से में कानून-व्यवस्था और शांति की समस्या खड़ी करने की क्षमता हो।
Published: 21 Oct 2019, 10:17 PM IST
इस तरह की शर्त के साथ ही नजरबंदी से रिहा होने वाले शख्स को जमानत राशि भी जमा करने की शर्त रखी गई है। बॉन्ड में ही कहा गया है कि दस्तखत करने वाले जमानत के तौर पर 10,000 रुपये जमा करने होंगे और बॉन्ड की शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में 40,000 रुपये जमानत के तौर पर देने होंगे। साथ ही इस बॉन्ड का उल्लंघन करने की स्थिति में रिहा किए गए शख्स को फिर से नजरबंद किया जा सकता है। गौरतलब है कि बॉन्ड में कहे गए हाल की घटनाओं का साफ अर्थ अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और राज्य के बंटवारे के बाद पैदा हुई स्थित से है।
Published: 21 Oct 2019, 10:17 PM IST
हालांकि, सरकारें आमतौर पर राजनीतिक बंदियों की रिहाई से पहले इस तरह के बॉन्ड पेपर पर दस्तखत करवाती रही हैं। लेकिन जम्मू और कश्मीर में बदले हालात के बीच सरकार ने बॉन्ड पेपर की शर्तों में कई अहम बदलाव कर दिए हैं। पहले बॉन्ड में हस्ताक्षरी से शांति का उल्लंघन नहीं करने या ऐसी कोई हरकत नहीं करने का वचन लिया जाता था कि जिससे इलाके की शांति भंग हो सकती हो। लेकिन कश्मीर के बदले हालात और लंबे समय से जारी नजरबंदी की कार्रवाई में वहां की सरकार द्वारा इस तरह के बॉन्ड भरवाने से सवाल खड़े हो गए हैं।
Published: 21 Oct 2019, 10:17 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 21 Oct 2019, 10:17 PM IST