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उत्तर प्रदेश में लाठी से ‘तोप’ की रखवाली, खेत में मिली ब्रिटिश कालीन तोप शासन को देने से लोगों का इनकार

पुरकाजी के लोगों के अनुसार 1857 के गदर में यहां के लोगों ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया था। उसी लड़ाई में यहां के क्रांतिकारीयों से डरकर अंग्रेज अपना गोला-बारूद और कई तोप छोड़ भाग खड़े हुए थे। तभी ये तोप मिट्टी में दब गई थी, जो यहां के इतिहास की निशानी है।

फोटोः आस मोहम्मद कैफ
फोटोः आस मोहम्मद कैफ 

उत्तराखंड की सीमा से सटे पुरकाजी कस्बे में किसान के खेत से निकली एक अंग्रेजकालीन तोप को स्थानीय लोग एएसआई को सौंपने से इंकार कर रहे हैं और इसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। मजेदार बात यह है कि एक स्थानीय किसान संगठन ने इसकी रखवाली के लिए मजबूत कदकाठी के लोगों की एक टीम की ड्यूटी लगाई है और लाठी लेकर तोप की रखवाली की जा रही है।

यह तोप यहां के गांव हरिनगर के एक किसान विनोद कश्यप के खेत में से निकली है। बताया जा रहा है कि तोप का वजन अनुमानित तौर पर 50 टन है। पुरकाजी के चेयरमैन जहीर फारूकी के अनुसार 1857 की आजादी की लड़ाई में पुरकाजी के लोगों ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया था। उस लड़ाई में 417 भारतीय शहीद हो गए थे, जिनमें से 72 लोगो के नाम यहां दर्ज भी हैं।क्रांतिकारीयों की बहादुरी से डरकर अंग्रेज यहां गोला-बारूद और तोप छोड़कर भाग गए थे। तभी ये तोप मिट्टी में दब गई थी।

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फारूकी के अनुसार आज से लगभग 40 साल पहले भी यहां जमीन से दो तोपें निकली थीं, जो आज मुजफ्फरनगर में डीएम और एसएसपी आवास पर रखी हुई हैं। उन्होंने कहा, “यह पुरकाजी के गौरवशाली इतिहास की निशानी है। हमारे शौर्य का प्रतीक है। अब हम इसे सूली वाले बाग में यादगार के तौर पर स्थापित करेंगे। सूली वाले बाग में अंग्रेजों ने सैकड़ों क्रांतिकारी फांसी पर लटकाए थे। हम इसे एएसआई को नहीं सौंपेंगे।”

पुरकाजी के चेयरमैन जहीर फारूकी की इस बात को स्थानीय किसानों का जबरदस्त समर्थन मिला है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बाकायदा अपने कार्यकर्ताओं को इसकी रखवाली करने के लिए कह दिया है, जिसके बाद युवा किसानों की एक टीम तोप की रखवाली कर रही है। राकेश टिकैत के मुताबिक तोप पर पहला हक पुरकाजी के लोगों का है क्योंकि उन्हीं लोगों के बुजुर्गों ने अंग्रेजों से मुकाबला किया, बलिदान दिया और उन्हें यहां से भागने पर मजबूर कर दिया। प्रशासन इस तोप को यहीं यादगार के तौर पर स्थापित कर दे। हम इसे ले जाने नहीं देंगे।

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यहां खास बात ये है कि आम जनता के साथ-साथ पुलिस भी तोप की रखवाली में पहरा दे रही है। सीओ सदर कुलदीप सिंह के मुताबिक जब तक एएसआई की टीम आकर परीक्षण कर कोई निर्णय नहीं ले लेती, तब तक पुलिस तोप की सुरक्षा कर रही है, ताकि कोई उसे इधर-उधर न कर दे।स्थानीय लोग चाहते हैं कि उसे वहां से हटाया न जाए। मजेदार यह है कि एक ही जगह पुलिस और किसान दोनों तोप की रखवाली कर रहे हैं और एक दूसरे को तोप ले जाने नहीं दे रहे हैं।

तोप की रखवाली में तीन दिन और रात से जुटे किसान यूनियन के कार्यकर्ता कामिल अली के मुताबिक वो इस तोप को ले जाने नहीं देंगे, क्योंकि इससे पुरकाजी की इज्जत जुड़ी हुई है। वो तीन दिन से यहीं डटे हुए हैं। भूरे खान भी तोप पर पहरा दे रहे हैं। वो कहते हैं, “ तोप को नहीं जाने देंगे क्योंकि पहले यहां से जो तोप निकली थी वो मुजफ्फरनगर डीएम और एसएसपी आवास पर रखी हुई है। अब इसे हमारे सूली वाले बाग में रखा जाना चाहिए और हमनें यह तय किया है कि चाहे जो हो जाए हम पुरात्तव विभाग को इसे ले जाने नहीं देंगे।”

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वहीं इस पूरे मामले पर मुजफ्फरनगर की डीएम सेल्वा कुमारी का कहना है कि एएसआई की टीम को सूचना दे दी गई है। उनके आने के बाद ही यह तय करेंगे कि इस तोप को कहां रखना है!फिलहाल तोप पुलिस की निगरानी में है।

दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी सूली वाला बाग पहुंचकर शहीदों को सलामी दी और तोप की निगरानी करने के लिए अपने कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगा दी।सद्दू गाड़ा के मुताबिक वो किसान यूनियन के कार्यकर्ता हैं और तोप की हिफाजत के लिए उनकी ड्यूटी लगाई गई है। उनका कहना है कि वो जान दे देंगे, मगर तोप को प्रशासन को ले जाने नहीं देंगे। फिलहाल एक तोप को लेकर तलवारें खींच गई हैं।

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