पेगासस जासूसी कांड भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है, इसलिए इस मामले की कोर्ट निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। यह मांग वकील एम एल शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दायर एक याचिका में की गई है। ध्यान रहे कि पेगासस प्रोजेक्ट से खुलासा हुआ है कि इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर देश के पत्रकारों, जज, न्यायिक और संवैधानिक अधिकारियों, कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी की गई या करने की कोशिश की गई।
वरिष्ठ वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि, “पेगासस कांड न सिर्फ गंभीर चिंता का विषय है बल्कि यह देश के लोकतंत्र, सुरक्षा और न्यायपालिका के पर गंभीर हमला भी है।” याचिका को अभी स्वीकार नहीं किया गया है। याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही सीबीआई को भी पक्ष बनाया गया है। याचिका में बताया गया है कि इससे पहले एम एल शर्मा ने सीबीआई के पास इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की थी लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई।
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एम एल शर्मा अहम मुद्दों पर याचिकाएं दाखिल करते रहे हैं। उहोंने पेगासस के संबंध में दायर याचिका में कोर्ट से दो मांगे रखी हैं। उन्होंने एक तो इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की अपील की है और इस मामले में दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों को आईपीसी की धारा 408, 409 (विश्वासघात करना), धारा 120 बी (आपराधिक साजिश करना), सरकारी गोपनीय कानून 1923 की धारा 3 (जासूसी के लिए सजा देना) और सूचना तकनीक कानून 2000 की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किए जाने की अपील की है।
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याचिका में तर्क दिया गया कि यह एक सवाल है कि क्या केंद्र सरकार द्वारा पेगासस सॉफ्टवेयर को बिना मंजूरी के खरीदना अनुच्छेद 266(3), 267(2) और 283(2) के विपरीत है और आईपीसी की धारा 408 और 409,120-बी को आकर्षित नहीं करती हैं?
याचिका में कहा गया है कि संसद की अनुमति के बिना राष्ट्र निधि से पेगासस की खरीद संविधान का गंभीर उल्लंघन है। याचिका में सवाल किया गया है कि क्या संविधान प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को उनके निहित राजनीतिक हितों के लिए भारत के नागरिकों की जासूसी करने की अनुमति देता है?
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याचिका में आगे पूछा गया, क्या भारत के आम नागरिक, विपक्षी नेताओं, न्यायपालिका के न्यायाधीशों और अन्य लोगों की जासूसी करना अनुच्छेद 21 के उल्लंघन के साथ ओएस अधिनियम, 1923 की धारा 3 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 65, 66 और 72 के तहत अपराध को आकर्षित नहीं करता।
दरअसल इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया पेगासस सॉफ्टवेयर, यूजर्स की जानकारी के बिना स्मार्टफोन को संक्रमित कर सकता है और लगभग सभी डेटा तक पहुंच सकता है।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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