पेगासस जासूसी मामले की गूंज एक बार फिर बुधवार को लोकसभा में सुनाई दी। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बुधवार को लोकसभा में पेगासस के जरिए नेताओं और पत्रकारों की जासूसी किए जाने का आरोप लगाते हुए सरकार को घेरा। हालांकि इस मुद्दे पर जवाब देने के बजाय पलटवार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सदन का इस्तेमाल राजनीतिक आरोप लगाने के लिए नहीं होना चाहिए। कांग्रेस सांसद के पास कोई तथ्य हैं तो उन्हें सदन में उन तथ्यों को रखना चाहिए।
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लोकसभा में ' देश में मादक पदार्थो की समस्या और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में ' नियम 193 के तहत हो रही चर्चा के दौरान बोलते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने नेताओं और पत्रकारों के मोबाइल की पेगासस द्वारा निगरानी करने का आरोप लगाते हुए पूछा कि सरकार ने पेगासस के जरिए मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले कितने माफियाओं और तस्करों को पकड़ा है। उन्होंने अपने मोबाइल में भी पेगासस होने का आरोप लगाया।
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गोगोई के आरोप पर गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत सदन में खड़े होकर कड़ा ऐतराज जताया और कहा कि इन्होंने गंभीर आरोप लगाए हैं और कांग्रेस सांसद को इसका आधार भी सदन में रखना चाहिए। शाह ने कहा कि सदन गंभीर चर्चा के लिए है केवल राजनीतिक आरोप लगाने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी तय कर दिया है। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने भी गोगोई को तथ्यों के साथ अपनी बात सदन में रखने की नसीहत दी। इस पर गोगोई ने कहा कि अध्यक्ष बताएं कि उनके द्वारा उठाया गया मुद्दा सदन के नियम के विरुद्ध है या नहीं।
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बता दें कि पेगासस सॉफ्टवेयर से जासूसी विवाद जुलाई 2021 में पहली बार सामने आया था। उस समय मीडिया की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि भारत के कई मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों, समाजसेवियों केफोन नंबर इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के डेटाबेस में पाए गए थे, जिन्हें हैक किया गया था। इसके बाद इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था। मामले की गूंज संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुनाई दी। विपक्ष ने सरकार पर पेगासस के जरिए जासूसी कराने का आरोप लगाया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। तब कोर्ट ने एक तकनीकी समिति नियुक्त कर इसपर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा।
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