हालात

पटना में पानी तो उतर गया, लेकिन सामने खड़ा है महामारी का खतरा, पर बिहार के साथ केंद्र भी कह रहा ‘ऑल इज वेल’

बिहार में तीन दिन की बारिश से टापू बना पटना, अब पानी उतरने के बाद जगह-जगह जलजमाव से अभी तक दोचार है। इसके साथ ही मच्छरों की पैदावार ने महामारी का खतरा पैदा कर दिया है। डेंगू के केस लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार को सब ठीक ही लगता है

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

तुम मुझे पंत कहो, मैं तुम्हें निराला- केंद्र और बिहार सरकारों के बीच यही चल रहा है। जबकि जनता मर रही है, हर कोई परेशान है और गुस्से में है। राजधानी पटना की 80 फीसदी आबादी को पहले तीन दिनों की बारिश ने हफ्ता भर घरों के अंदर कैद रखा। जिस तरह कैद में सोने-उठने-बैठने की जगह मुश्किल से मिलती है, वही हाल था। पानी थोड़ा कम हुआ, तब कचरा-सड़ांध जीने नहीं दे रहा। और, केंद्र की टीम जायजा लेने आती है तो सबकुछ ठीक-ठीक कहकर लौट जाती है।

टीम ने पटना समेत बिहार के विभिन्न हिस्सों में जलजमाव-जनित बीमारियों, खास तौर

से मलेरिया-फाइलेरिया की आशंका जरूर बताई। जबकि सिर्फ पटना मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब में इस सीजन के दौरान 825 मरीज डेंगू पॉजीटिव घोषित हो चुके हैं। प्रदेश में दर्जनों मरीज चिकनगुनिया से ग्रस्त हैं। मलेरिया-फाइलेरिया के केस हर उन इलाकों में हैं जहां जलजमाव से लोग परेशान रहे। लगता यही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महकमे भी आंखों पर पट्टी बांधकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।

इस जलजमाव के बीच ही दुर्गा पूजा थी। सो, नगर निगम एक्टिव रहा। उसने यहां-वहां जैसे-तैसे थोड़ी-बहुत सफाई की। लेकिन मच्छरों की संख्या स्वाभाविक ही काफी बढ़ गई है। पानी और गंदगी के कारण फूड प्वाइजनिंग, खास तौर से लगातार दस्त, के काफी मामले अस्पतालों में आ रहे हैं। लेकिन अस्पताल भी क्या करें। राज्य के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल- एनएमसीएच, के आईसीयू तक में पानी भर गया था। विभिन्न मुहल्लों के निजी अस्पतालों और क्लीनिक तक पहुंचकर भी लोगों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।

जलजमाव दूर न किए जाने से लोगों का गुस्सा भी फूट रहा। इस वजह से जगह-जगह जाम-हंगामा भी हो रहा। लेकिन शहर प्रशासन करे भी तो क्या । पटना राजधानी है, फिर भी यहां भी नालों का नेटवर्क नहीं है। पटना में नगर निगम क्षेत्र के ड्रेनेज-सीवरेज का नक्शा खोजे नहीं मिल रहा। ऊपर से, राजनीतिक कूद-फांद अलग चल रही।

नीतीश की गठबंधन सरकारों में कई वर्षों से नगर विकास विभाग बीजेपी के पास ही रहा है। लेकिन फजीहत होने के बाद उसके नेता अजीब-अजीब किस्म के तर्क गढ़ रहे हैं। अब जैसे, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा का कहना है कि दो महीने पहले तक पटना के नगर आयुक्त रहे अनुपम कुमार सुमन उनकी नहीं सुनते थे। सुमन रेवेन्यू सर्विसेज

से हैं और वह नीतीश से नजदीकियों के कारण चर्चित थे। मंत्री ने नीतीश का नाम नहीं लिया, लेकिन सुमन का नाम आते ही नि शाने पर नीतीश आ गए।

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