हालात

पानी-पानी पटना में ‘पीने के पानी’ के लिए भी तरसे लोग, पीड़ितों का दर्द छलका, कहा-गहरी नींद में है प्रशासन

पटना को कई निचले इलाकों में बेतहाशा पानी भरा हुआ है। कंकरबाग के लोगों का मानना है कि बारिश के दौरान प्रशासन गहरी नींद में नजर आया, वहीं राजेंद्र नगर वासी मानते हैं कि प्रशासन लोगों की दिक्कतें बढ़ाने का ही काम कर रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पटना में बीते 36 घंटे से एक भी बूंद पानी नहीं बरसा है, लेकिन बीते दिनों हुई लगातार बारिश ने बिहार की राजधानी को ऐसी मुसीबत में धकेल दिया, जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। मंगलवार को बादलों के पीछे से झांकते सूर्य ने बेबस पटनावासियों को कुछ राहत का एहसास तो कराया, पानी-पानी पटना ने बिहार में शासन-प्रशासन की नाकामियों को उजागर कर दिया।

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इस दौरान एनडीआरएफ की करीब बीस टीमें, वायुसेना के हैलीकॉप्टर लोगों को राहत पहुंचाने में लगे हुए हैं। इनमें से अकेले पटना में ही एनडीआरएफ की 6 टीमें लगी हैं। पटना को कई निचले इलाकों में बेतहाशा पानी भरा हुआ है। इन इलाकों में रहने वालों को खाने के पैकेट और पीने का पानी मुहैया कराया जा रहा है। लेकिन बहुत से इलाकों में बिजली अभी तक गुल है।

मौसम विभाग ने मंगलवार को फिर से बारिश की चेतावनी दी थी, लेकिन लगता है कि बारिश का कहर थम गया है। निचले इलाकों में हालात सुधरने में वक्त लग रहा है, और इसके पीछे बड़ी वजह नाले-नालियों और ड्रेनेज की बदतर हालत है।

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कंकरबाग के लोगों का मानना है कि बारिश के दौरान प्रशासन गहरी नींद में नजर आया, वहीं राजेंद्र नगर वासी मानते हैं कि प्रशासन लोगों की दिक्कतें बढ़ाने का ही काम कर रहा है। हकीकत यह है कि सरकारी स्तर पर जो कुछ किया जा रहा है वह नाकाफी है, क्योंकि अगर दोबारा बारिश शुरु हुई तो हालात बेकाबू होने की आशंका है।

हाल के दिनों में खाने-पीने के ऐसे सामान की मांग ज्यादा बढ़ी है जिसके जल्दी खराब होने का खतरा रहता है। पटना में कई जगह 40 रुपए प्रति किलो तक आलू की बिक्री हो रही थी, लेकिन अब वह भी दुकानों और ठेले वालों के पास से खत्म हो रहा है। इसके अलावा प्याज और रसोई में इस्तेमाल होने वाले दूसरे खाद्य पदार्थों की भी कमी नजर आ रही है। प्याज तो 100 रुपए प्रति किलो तक बिक चुका है। इसी तरह गोभी भी 70 रुपए प्रति किलो के दाम पर बिक रहा है, और लोगों के पास इतना महंगा दाम चुकाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है। एक सब्जी वाले का कहना है कि, “जब भी बाढ़ आती है तो सब्जियों के दाम बढ़ते हैं क्योंकि सप्लाई कम हो जाती है।”

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ऐसा नहीं है कि पटना की बाढ़ में सिर्फ आम लोग ही फंसे हैं। कई नेताओं के घर भी पानी-पानी हुए, इनमें डिप्टी मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी शामिल हैं। उन्हें राहत टीम ने रबर की नाव से बाहर निकाला। सामान और परिवार के साथ शॉर्ट पहने सुशील मोदी का फोटो खूब वायरल भी हो रहा है। आपदा के दौरान कुछ लोगों को मस्ती का भी मौका मिलता है। ऐसा ही किस्सा हुआ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नालोजी की छात्रा अदिति सिंह के साथ। अदिति ने पानी-पानी पटना की सड़को पर फोटो शूट कराया। फोटोग्राफर श्याम अनुराज ने इसे ‘मरमेड इन डिजास्टर’ शीर्षक दिया है। इसका अर्थ होता है तबाही में जलमछली। अदिति के फोटो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शेयर होने के बाद आलोचना का शिकार हो रहे हैं।

लेकिन, कम्यूनिकेशन डिज़ायनर अमिताभ पांडे की राय अलग है। पाटलिपुत्र कॉलोनी में रहने वाले पांडे कहते हैं कि पीने का जितना पानी मुहैया कराया जा रहा है, वह नाकाफी है। वे कहते हैं, “बिसलेरी की एक-दो बोतल से पूरा परिवार कैसे प्यास बुझा सकता है। इलाके से पानी भी अभी तक नहीं निकाला गया है। लोगों को मदद चाहिए, लेकिन कोई मदद नहीं की जा रही।”

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उधर मुजफ्फरपुर में अस्पताल चलाने वाले पटना के बहादुरपुर वासी जिवेश कुमार कहते हैं, “अब हालात में सुधार हो रहा है। पंपों के जरिए पानी निकाला जा रहा है। प्रशासन ने काम शुरु किया है।” बहादुरपुर में घुटनों तक पानी भर गया था। जिवेश कुमार बताते हैं कि वह अब अपने घर से निकल पाए हैं। इस इलाके में अब सब्जी-तरकारी बेचने वाले भी आने लगे हैं।

इधर प्रशासन भी पटनावासियों की जरूरतें पूरी करने में पसीना-पसीना हुआ जा रहा है। प्रकृति के इस अनायास प्रहार के सामने प्रशासन भी बेबस ही बना हुआ दिखा और समय रहते कोई कदम न उठाए जाने के नतीजतन लोगों को बेशुमार दिक्कतों से दोचार होना पड़ा।

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