निर्भया केस में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फिलहाल नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दी है, जिसमें दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए नया डेथ वारंट जारी करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में निर्भया की ओर से वकील इरफान अहमद ने कहा कि तीनों दोषियों की दया याचिका खारिज हो चुकी है। दोषियों की कोई भी याचिका किसी कोर्ट में लंबित नहीं है। ऐसे में कोर्ट दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करे। गौरतलब है कि इस केस में एक और दोषी बचा जिसने अभी कोई याचिका नहीं लगाई है।
Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST
पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले पर निर्भया की मां ने कहा, “आज कुछ भी पेंडिंग नहीं था फिर भी मौत की सजा नहीं सुनाई गई। उन्होंने फांसी की तारीख टालने के लिए याचिका डाली, फांसी टल गई। हमने अपने इंसाफ के लिए तारीख मांगी नहीं मिली। कहीं न कहीं हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है और इंसाफ उनके साथ हो रहा है।”
Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST
वहीं, निर्भया के पिता ने कहा, “अगर फैसला एक दिन भी हमारे पक्ष में हो जाए तो अपराधियों को फांसी हो जाए। सरकार जाने कि अब दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा कैसे होगी। निर्भया को देर सवेर न्याय जरूर मिलेगा। लेकिन दिल्ली की महिलाएं कैसे सुरक्षित होंगी अब हमें समझ नहीं आ रहा।”
Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST
पटियाला हाउस कोर्ट से पहले सुप्रीम कोर्ट में निर्भया केस की सुनवाई टल गई। सुप्रीम कोर्ट में अब इस केस की सुनवाई 11 फरवरी को होगी। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस आर भानुमति की अगुवाई वाली पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता के इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया कि केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी की जाए। पीठ ने सॉलीसीटर जनरल से कहा कि वह 11 फरवरी को उनको सुनेगी और विचार करेगी कि दोषियों को नोटिस जारी करने की जरूरत है या नहीं। इस बेंच में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए.एस.बोपन्ना भी शामिल थे। सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने अदालत को बताया कि मामले में, 'राष्ट्र के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है' और पीठ को इस मुद्दे पर कानून बनाना होगा।
Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। साथ ही हाई कोर्ट ने पांच फरवरी को दोषियों को एक हफ्ते का समय दिया था, जिसमें वह अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST
हाई कोर्ट से पहले केंद्र सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में यह मांग की गई थी कि जिन दोषियों ने अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लिया है, उन्हें एक-एक करके फांसी दे दी जाए। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए यह फैसला दिया था कि जब सभी दोषी अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लें, उसके बाद ही सभी को एक साथ फांसी दी जाए। दोषियों ने अपनी याचिका में यह दलील दी थी कि एक केस में सजा पाए सभी दोषियों को एक साथ ही फांसी दी जा सकती है। सभी को तब तक फांसी नहीं दी जा सकती जब तक सभी अपने कानूनी अधिकारियों का इस्तेमाल न कर लें।
Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST
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Published: 07 Feb 2020, 3:59 PM IST