कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की आज अहम बैठक हुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम से हुई कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के आंतरिक चुनाव से लेकर देश के कई ज्वलंत मुद्दों पर कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक में विवादित कृषि कानूनों, कोरोना वैक्सीन और देश में टीकाकरण और रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के व्हाट्सएप चैट लीक के मामले पर तीन अलग-अलग प्रस्ताव पारित किए गए।
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कांग्रेस कार्यसमिति ने प्रस्ताव पारित कर आंदोलनकारी किसानों के साथ खड़ा रहने का ऐलान किया। प्रस्ताव में कहा गया, “मोदी सरकार द्वारा अपने मित्र पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए खेती और किसानी के खिलाफ लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में कंपकपाती ठंड और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं। किसान संगठनों के अनुसार मोदी सरकार के इस बर्बर खेल में अब तक 147 किसान अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं। प्रधानमंत्री और अहंकार में डूबी बीजेपी सरकार फिर भी उनका दर्द और पीड़ा समझने और उनकी न्याय की गुहार को सुनने तक से इंकार कर रही है।”
कांग्रेस कार्यसमिति ने कहा कि “ये तीनों कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं और देश में दशकों से स्थापित खाद्य सुरक्षा के तीन स्तंभों- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद और राशन प्रणाली को खत्म करने की शुरुआत हैं। सीडब्लूसी का मानना है कि इन तीनों कानूनों की संसदीय समीक्षा तक नहीं की गई और विपक्ष की आवाज को दबाकर उन्हें जबरदस्ती थोप दिया गया। खासकर, राज्यसभा में इन तीनों कानूनों को वोटिंग के बजाय ध्वनि मत से अप्रत्याशित तरीके से पास कराया गया, क्योंकि सदन में सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था।”
समिति ने कहा कि “भारत के किसानों और खेत-मजदूरों की केवल एक मांग है- इन तीनों विवादास्पद कानूनों को खत्म किया जाए। लेकिन केंद्र सरकार किसानों को बरगलाकर, बांटकर, धमकाकर उनके साथ सौतेला व्यवहार, धोखा और छल कर रही है। बीजेपी सरकार को यह अटल सच्चाई जान लेनी चाहिए कि भारत का किसान न तो झुकेगा और न ही पीछे हटेगा। कांग्रेस कार्यसमिति की मांग है कि मोदी सरकार इन तीन कृषि विरोधी काले कानूनों को फौरन निरस्त करे।”
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कांग्रेस कार्यसमिति ने देश में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया। कांग्रेस ने देश में कोरोना वैक्सीन लगवा रहे स्वास्थ्यकर्मियों की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार से सभी आवश्यक उपाय करने और वैक्सीन में 'मुनाफाखोरी रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। कांग्रेस कार्यसमिति ने सबसे पहले भारत के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनकी प्रशंसा की, जिन्होंने निरंतर कठोर परिश्रम करते हुए रिकॉर्ड समय में कोरोना महामारी के टीके का अविष्कार किया।
सीडब्लूसी ने प्रस्ताव में इस बात पर चिंता जताई कि भारत की आम जनता को कोरोना टीका लगाए जाने के बारे में न तो कोई स्पष्टता है और न ही केंद्र की बीजेपी सरकार ने पहले 3 करोड़ लोगों को टीका लगाए जाने के बाद अन्य लोगों को टीका लगाए जाने की कोई समय सीमा ही बताई है। सीडब्लूसी ने चिंता जताया कि भारत में वंचितों, शोषितों और हाशिये के लोगों, खासकर दलित, आदिवासी, पिछड़े और गरीबों को कोरोना का टीका निश्चित समयसीमा में बिना किसी शुल्क के लगाने की जरूरत पर सरकार की कोई नीति और तैयारी नहीं है।
सीडब्लूसी ने आने वाले दिनों में कोरोना का टीका खुले बाजार में 2000 रु. में बिकने की खबरों पर सवाल उठाते हुए कहा कि विपत्ति के समय इस तरह की मुनाफाखोरी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जा सकती। सरकार को इस मामले में सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट नीति की घोषणा करनी होगी। सीडब्लूसी ने सरकार से कोरोना टीका लगवाने पर स्वास्थ्यकर्मियों की चिंताओं को दूर करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने की मांग करते हुए भारत के लोगों से आग्रह किया कि बिना किसी संकोच के आगे आएं और कोरोना का टीका लगवाएं।
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कांग्रेस कार्यसमिति ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के हाल में सामने आए विवादित व्हाट्सएप चैट को राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करार देते हुए इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की है। कार्यसमिति ने प्रस्ताव पास कर कहा कि कांग्रेस देश की सुरक्षा से खिलवाड़ को उजागर करने वाली षडयंत्रकारी बातचीत के हाल में हुए खुलासों पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है। यह स्पष्ट है कि इसमें मोदी सरकार में सर्वोच्च पदों पर आसीन लोग शामिल हैं और इस मामले में महत्वपूर्ण और संवेदनशील सैन्य अभियानों की गोपनीयता का घोर उल्लंघन हुआ है।
प्रस्ताव में कहा गया, इस सनसनीखेज खुलासे में सरकारी मामलों की गोपनीयता और पूरे सरकारी ढांचे को मिलीभगत से कमजोर करने, सरकारी नीतियों पर बाहरी और अनैतिक तरीके से दबाव बनाने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कुत्सित हमले के अक्षम्य अपराधों की जानकारी प्रथम दृष्टि से सामने आई है। इससे मोदी सरकार और सरकार के बाहर बैठे मित्रों के बीच एक षडयंत्रकारी साजिश और निंदनीय गठबंधन का पर्दाफाश हुआ है।
प्रस्ताव में कहा गया कि कांग्रेस कार्यसमिति देश की सुरक्षा से खिलवाड़, ऑफिशियल सीक्रेट्स अधिनियम के उल्लंघन और उच्चतम पदों पर बैठे इसमें शामिल लोगों की भूमिका की तय समय सीमा में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच कराने की मांग करती है। अंत में, जो लोग राजद्रोह के दोषी हैं, उन्हें कानून के सामने लाया जाना चाहिए और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
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