लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद पशुपति कुमार पारस के मोदी सरकार में मंत्री बनने के बाद भी पार्टी में जारी आंतरिक विवाद थमता नहीं नजर आ रहा है। दो गुटों में बंटी पार्टी में हर दिन के साथ नया दांव खेला जा रहा है। इसी कड़ी में एलजेपी के एक गुट का नेतृत्व करने वाले केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने गुरुवार को बिहार सहित सात राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है। समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज को बिहार का अध्यक्ष बनाया गया है।
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खुद को एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान के असली राजनीतिक वारिस बताने वाले हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस द्वारा जारी सूची में प्रिंस राज को बिहार का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि विकास रंजन उर्फ पप्पू सिंह को झारखंड, ललित नारायण चौधरी को उत्तर प्रदेश और रवि गरुड़ को महाराष्ट्र का अध्यक्ष बनाया गया है।
इसके साथ ही डॉ. वीरेंद्र कुमार वैंग को उड़ीसा की जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि रूपमकर को त्रिपुरा का और अमित नरेश राठी को दादर नागर हवेली और दमन दीव का प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। इसके अलावा पारस ने प्रकाश सिंह को राष्ट्रीय सचिव मनोनीत किया है। उन्होंने नए प्रदेश अध्यक्षों को राज्य कमेटी बनाकर सूचित करने का भी निर्देश दिया है।
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दरअसल खुद को एलजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित करने के बाद पारस लगातार अपने गुट को मजबूत करने में जुटे हैं। इसी कड़ी में वह पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लगातार संगठन में अपने गुट के नेताओं की नियुक्ति कर रहे हैं। ताजा नियुक्तियां इसी कवायद का हिस्सा हैं। खासकर बिहार में अपने गुट के प्रिंस राज को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पारस राज्य में पार्टी पर नियंत्रण रखना चाहते हैं।
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गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले एलजेपी उस समय दो गुटों में बंट गई, जब दिवंगत रामविलास के बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान को बड़ा झटका देते हुए चाचा पशुपति कुमार पारस ने पार्टी के अन्य चार सांसदों के साथ मिलकर चिराग को लोकसभा में पार्टी के नेता पद से हटा दिया। इसके कुछ दिन बाद पारस गुट के पांच सांसदों ने पटना में बैठक कर चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर पारस को अध्यक्ष घोषित कर दिया।
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इस झटके से जागे चिराग पासवान ने आनन-फानन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर बगावत करने वाले पारस सहित पांच सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बाद चिराग ने हाईकोर्ट का भी रुख किया था, जहां से हाल ही में उन्हें झटका लगा है। आगे चलकर एलजेपी किसकी होगी, यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन फिलहाल दोनों गुटों की तरफ से लगातार एलजेपी के सिम्बल पर दावा किया जा रहा है।
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