जम्मू-कश्मीर राज्य को 2 केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटे जाने संबंधी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के एक दिन बाद लोकसभा की भी मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाने का प्रस्ताव भी पास हो गया।
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राज्यसभा से पास होने के बाद आज गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को लोकसभा में चर्चा के लिए रखा था, जिसे सदन में वोटिंग के बाद पास कर दिया गया, बिल के पक्ष में 370 और विपक्ष में 70 वोट पड़े। बीते दिन वोटिंग के बाद उच्च सदन से इस बिल को मंजूरी मिल गई थी जिसके पक्ष में 125 और विपक्ष में 61 वोट पड़े थे। लोकसभा में जम्मू कश्मीर में विशेष अधिकार देने वाला धारा 370 को खत्म करने का संकल्प भी पारित हुआ। साथ ही जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक को लोकसभा में वापस ले लिया गया।
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वोटिंग से पहले विधेयक पर लोकसभा में बहस हुई। कांग्रेस इस विधेयक का विरोध किया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि लोकतांत्रिक पार्टी के नेताओं को बंद कर आपने गैर लोकतांत्रिक लोगों के लिए रास्ते खोल दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की सुरक्षा को आज खतरा है। थरूर ने कहा कि यह फैसला अतिवाद को बढ़ावा देगा और कश्मीर में युवाओं को आतंकवाद की ओर ढकेलना का काम करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार हमें एंटी नेशनल कहती रहती है लेकिन हमें इनसे राष्ट्रवाद का पाठ सीखने की जरूरत नहीं है, हम ही एक ऐसी पार्टी हैं जो देश की आजादी के लिए लड़े थे, देश के मूल्यों की रक्षा के लिए लड़े थे।
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वहीं कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि बगैर संविधान सभा की इजाजत के धारा 370 को खारिज नहीं किया जा सकता जो आज मौजूद नहीं है। तिवारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा-विधान परिषद का मतलब यह संसद नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का अलग संविधान है जो 1957 को लागू हुआ था क्या अब प्रदेश के बंटवारे के बाद उस संविधान को खारिज करने का बिल भी सरकार लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि संघीय ढांचे के ऊपर इससे बड़ा आघात नहीं हो सकता, साथ ही आज अगर जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो उसके पीछे पंडित नेहरू ही वजह थे।
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तिवारी ने कहा कि आज इस सदन में संवैधानिक त्रासदी हो रही है। अनुच्छेद 3 की स्प्रिट संसद को खुद राय लेने का अधिकार नहीं देती न ही अनुच्छेद 3 किसी सूबे को तोड़ने की बात कहती है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के गठन के वक्त राय ली गई थी और यूपीए ने कोई असंवैधानिक काम नहीं किया साथ ही अनुच्छेद 3 के मुताबिक ही काम किया था। लेकिन आज जम्मू कश्मीर के संदर्भ में संविधान का पालन नहीं हुआ। बगैर विधानसभा के विचार के कोई भी राज्य का गठन आजतक नहीं किया गया था।
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वहीं विधेयक के पक्ष में बोलते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 370 ने हमेशा पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसाने का मौका दिया, आप सोचिए कि इससे अब तक क्या मिला। उन्होंने कहा कि यह कानून घाटी के लोगों को अपने नजदीक ला पाएंगे और वहां विकास के नए रास्ते खुलेंगे। अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग था, है और रहेगा। वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने देश की जनता से 370 हटाने का वादा किया था और जनता ने भी हमें अपार बहुमत दिया है। हम सिर्फ जम्मू कश्मीर की जनता नहीं बल्कि पूरे देश की जनता की सहमति से इसे बदल रहे हैं।
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